लाइफस्टाइल

हौले-हौले बढ़ रही है सर्दी की रफ्तार,गर्म कपड़ों की बढऩे लगी मांग।

क और जहां अभी तक पूरे जिले भर में विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गर्म था वहीं अब मतदान समाप्त होने के बाद लोगों का ध्यान हौले-हौले बढ़ रही सर्दी की ओर जाने लगा है। हर घर में लोग ठंडी से बचने वाले अपने ऊनी कपड़ों को अलमारी और बक्सों से निकलकर, उनको धोकर, सुखाकर, प्रेस करके पहनने की व्यवस्था बना रहे हैं।

रात में ठंड से बचने के लिए लोग रजाई, कंबल भी निकाल चुके हैं।

बाजार में भी ऊनी कपड़ों की सज गई दुकान

गुलाबी ठंडक बढ़ते ही गर्म कपड़ों की मांग भी तेजी के साथ बढऩे लगी है। बाजार में गर्म कपड़ों की बिक्री का काम बढऩे से व्यवसायियों में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है। ऊनी कपड़ों की मांग भी शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा रजाई एवं गद्दों की भराई का कार्य शुरू हो गया है। सीधी शहर में जगह-जगह रजाई एवं गद्दों की तगाई एवं भराई का कार्य करने के लिए सडक़ की पटरियों पर ही दुकानें सज गई हैं। रजाई गद्दे की भराई का कार्य शुरू होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से भी काफी संख्या में महिला एवं पुरूष शहर में पहुंच रहे हैं जिससे उन्हे भी अच्छा कार्य मिल सके।

रुई और रजाई की दुकानों में बढ़ी भीड़

चर्चा के दौरान रजाई एवं गद्दों के व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि उनकी मजदूरी प्रति गद्दा एवं रजाई के अनुसार मिलती है। इस वजह से सभी यह प्रयास करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा गद्दा एवं रजाई की भराई का कार्य पूर्ण किया जा सके जिससे ज्यादा से ज्यादा उन्हे मजदूरी भी मिल सके। गद्दा एवं रजाई भराई के कार्य से जुड़े लोगों द्वारा बाहर से रूई मगाई जाती है। रूई की किस्मे भी कई तरह की होती है। अधिकांश लोग सामान्य रूई की खरीदी करते हैं। सामान्य रूई की कीमत 100 रूपए किलो से लेेकर 150 रूपए तक है। उच्च गुणवत्ता वाली रूई की कीमत 200 रूपए किलो से ज्यादा बनी हुई है। फिर भी लोग अपनी जरूरत एवं क्षमता के अनुसार रूई की खरीदी करते हैं। कुछ वर्षों से मिलावटी रूई भी बाजार में बिकने के लिए आ रही है, इसकी कीमत सबसे कम होने के कारण इसकी मांग भी ज्यादा रहती है। उक्त रूई को कपड़ा मिलो के कचरे के रूप में माना जाता है। जिसका उपयोग भी रजाई एवं गद्दा की भराई में किया जाता है। बाजार में रेडीमेड रजाई एवं गद्दे भी बिकने के लिए तैयार हैं। इनकी कीमतें कम होने के कारण जिनके पास समय की कमी है इसकी खरीदी करते हैं। रेडिमेड रजाई एवं गद्दों में रूई की गुणवत्ता भी काफी कमजोर होती है। इस वजह से चार सौ रूपए से लेकर 12 सौ रूपए नग तक इनकी बिक्री हो रही है। रूई एवं गद्दा रजाई की व्यवस्था में लगे कुछ ग्राहकों ने चर्चा के दौरान बताया कि ठंड की शुरूआत हो जाने के कारण रजाई एवं गद्दा की व्यवस्था करना सबसे ज्यादा जरूरी है। शहरों में भले ही ठंड कम है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई के चलते शाम ढलने के बाद से ही गलन का असर बढऩे लगता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग रजाई एवं गद्दा का उपयोग ठंड से बचने के लिए अब प्राथमिकता के साथ कर रहे हैं।

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