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चुनाव मतदान संपन्न होने पर आम जनजीवन लौटा पटरी पर,शहर से लेकर गांव की गलियों में फिर वही पुराना आलम।

बीते शुक्रवार 17 नवंबर को सीधी जिले में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त होने के बाद से चुनावी रौनक भी गायब हो गई है। कल तक जिन गली कूंचों में प्रत्याशियों की चुनावी अपील का शोर कानों में गूंजता रहा है उन कानों में अब महीनों का शोर समाप्त होकर फिर से अपने गली मोहल्ले की उन आवाजों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है जिनको लेकर लोग अपनी रोजमर्रा का जीवन पहले जीते थे।

चुनाव प्रचार में जहां प्रत्याशियों के कार्यकर्ता पूरी मुस्तैदी के साथ जुटे हुए थे अब मतदान हो जाने के बाद खाली हो चुके हैं। इसी तरह चुनावी कार्य में लंबे समय तक व्यस्त रहे सरकारी कर्मचारी भी मतगणना के बाद से अपनी चुनावी थकान उतारते देखे गए। दो दिनों का अवकाश लगातार होने के कारण कर्मचारियों में इस बात को लेकर राहत नजर आई कि उन्हें चुनावी थकान उतारने के लिए शासन द्वारा लंबा समय दे दिया गया है। दरअसल विधानसभा चुनाव का नामांकन पत्र दाखिल होने के साथ ही सीधी जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई थी। चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों द्वारा अपने प्रचार के लिए काफी संख्या में कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कार्यकर्ताओं को भी चुनाव प्रचार की पसंदीदा जिम्मेदारी मिलने के बाद से उनके चेहरे में काफी उत्साह नजर आ रहा था। उनके लिए खर्च की स्थाई व्यवस्था कुछ दिनों के लिए बन जाने के कारण वह पूरी तरह से बेफिक्र थे। सुबह से लेकर देर शाम तक उनकी दिनचर्या में चुनाव प्रचार रच-बस गया था। मतदान समाप्त होने के साथ ही कार्यकर्ता खाली हो गए हैं अब उनके द्वारा अपने प्रत्याशी की जीत को लेकर भी बड़े दावे किए जा रहे हैं। सभी कार्यकर्ता यह बताने में पीछे नहीं हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान उनके द्वारा कितनी मेहनत की गई है। घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने के दावे किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव प्रचार को लेकर सबसे ज्यादा सरगर्मी बनी हुई थी।
प्रत्याशियों एवं उनके समर्थकों के पहुंचते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। ग्रामीणों को भी आभाष हो चुका था कि उनके वोट की कीमत काफी ज्यादा है। इसी वजह से चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी उनके पास वोट मांगने के लिए पहुंच रहे हैं। यह दीगर बात है कि अब मतदान हो जाने के बाद 5 साल तक प्रत्याशी एवं उनके कार्यकर्ता गांव-गांव पहुंचते रहने का वायदा करना भूल जाएंगे। इसी वजह से मतदान के बाद चुनावी नतीजे को लेकर भी गांवों में अपने-अपने नजरिए से चर्चा की जा रही है और अच्छे प्रत्याशी को जीत मिलने की आस भी बनाए हुए हैं।
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