रेलवे एवं राजस्व की मनमानी पर रही किसानों पर भारी— जय सिंह राजू
सपा नेता जय सिंह राजू आरोप लगाए है सैकड़ों उम्मीदवारों का सपना टूट गया है। ये वे उम्मीदवार हैं जिनकी जमीन लेने के बाद रेलवे ने इनसे नौकरी देने का दावा किया था।
सिंगरौली —सपा नेता जय सिंह राजू आरोप लगाए है सैकड़ों उम्मीदवारों का सपना टूट गया है। ये वे उम्मीदवार हैं जिनकी जमीन लेने के बाद रेलवे ने इनसे नौकरी देने का दावा किया था। , लेकिन जबलपुर रेल मंडल ने भर्ती प्रक्रिया रद कर इससे जुड़ी अधिसूचना काे भी रद कर दिया। इस संबंध में आदेश जारी होते ही लगभग 500 से ज्यादा उम्मीदवारों का रेलवे में नौकरी करने का सपना अब सपना ही रह गया है। दरअसल, जबलपुर रेल मंडल ने रीवा से गोविन्दगढ़ ललितपुर से सीधी के बीच रेल लाइन बिछाने के लिए जिन भूस्वामी को जमीन के बदले नौकरी देने भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी, उसे रद कर दिया है। 2019 से पहले के उम्मीदवारों की भर्ती प्रक्रिया रदः जबलपुर रेल मंडल के अधिसूचना रद करने संबंधित आदेश के बाद न सिर्फ सतना-रीवा रेल लाइन बल्कि छतरपुर-पन्ना-नागौद-सतना और रीवा-सिंगरौली में नई रेल लाइन बिछाने के लिए जिन भूस्वामी और आश्रितों की जमीन ली गई, उनकी भी रेलवे में नौकरी करने का आस टूट गई है। दरअसल 2019 के बाद से ही जमीन के बदले नौकरी न देने का नियम था, लेकिन इससे पूर्व जिन रेल परियोजनाओं में जिन भूस्वामियों से जमीन किसी का तो घर किसी और ली लगभग 500 से ज्यादा उम्मीदवारों को नौकरी भी दे दी गई। जो शेष उम्मीदवार । मंडल से जोन तक का लगा रहे चक्करः सैकड़ों की संख्या में सतना, रीवा, जबलपुर रेल मंडल और पश्चिम मध्य रेलवे कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। यहां आने के बाद उन्हें बताया जा रहा है कि रेलवे ने जमीन के बदले नौकरी देने का नियम खत्म कर दिया है। वहीं जो भर्ती प्रक्रिया चल रही थी, वो भी अब रद हो गई है।
यह है मुख्य वजहः जमीन के बदलने नौकरी देने का नियम खत्म करने की कई वजह है। इसमें मुख्य तौर पर नौकरी पाने के लिए अधिकांश भूस्वामियों ने एक जमीन के कई टुकड़े कर अपने और परिजनों के नाम कर दिए। इस वजह से नौकरी के हकदारों की संख्या हजार में पहुंच गई। इधर जमीन के बदलने नौकरी देने का नियम जबलपुर समेत देशभर के सभी रेल मंडल में लागू होने की वजह से बड़ी संख्या में तृतीय श्रेणी कर्मचारी भर्ती हो रहे थे। इनमें अधिकांश नौकरी करने के लिए दक्ष भी नहीं थे लेकिन नियम शिथिल होने की वजह से नौकरी देना मजबूरी बन गया था। जो न्याय उचित नहीं है रेलवे और राजस्व को समझदारी दिखाकर ही काम करना चाहिए।
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