एमपी NEWS: मुख्यमंत्री मोहन यादव पहले महीने में कर्जा लेने को मजबूर सरकार चलाने के लिए ले रहे 2000 करोड़ :जानिए डिटेल्स में सब कुछ
भोपाल: मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव एक महीने के भीतर ही कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।
भोपाल: मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव एक महीने के भीतर ही कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गए हैं। सरकार ने प्रक्रिया के तहत इसके लिए सहमति पत्र आरबीआई को भेज दिया है। लोन की रकम 2000 करोड़ रुपये होगी। यादव सरकार को 3.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिला है।
अधिकारियों ने कहा कि कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और इसकी औपचारिकताएं कुछ दिनों में पूरी होने की संभावना है। राज्य की वित्तीय स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार ने विधानसभा चुनाव के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज मांगा।
चुनाव से दो महीने पहले अकेले सितंबर में 12,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया था। 18 अक्टूबर को सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। आठ दिन बाद उसने 2,000 करोड़ रुपये का और कर्ज लिया और वोटिंग के पांच दिन बाद 22 नवंबर को 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज मांगा गया।
MP News: पहले ही महीने में कर्जा लेने को मजबूर सीएम मोहन यादव, सरकार चलाने के लिए ले रहे 2000 करोड़
MP News: मध्य प्रदेश के नए सीएम मोहन यादव को प्रदेश की सत्ता संभालते ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। विरासत में मिले 3.5 लाख करोड़ रुपए के बाद अब एक बार फिर वह 200 करोड़ कालोन लेने की तैयारी कर रहे हैं। चुनाव से दो महीने पहले अकेले सितंबर में 12,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया था।
सत्ता संभालने के बाद मुश्किल में सीएम मोहन यादव
3.5 लाख का कर्जा छोड़ कर गए हैं शिवराज सिंह
अब महीने भर के भीतर लेना पड़ रहा 2000 करोड़ का कर्ज
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पहले ही महीने में कर्जा लेने को मजबूर सीएम मोहन यादव
भोपाल: मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव एक महीने के भीतर ही कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गए हैं। सरकार ने प्रक्रिया के तहत इसके लिए सहमति पत्र आरबीआई को भेज दिया है। लोन की रकम 2000 करोड़ रुपये होगी। यादव सरकार को 3.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिला है।
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अधिकारियों ने कहा कि कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और इसकी औपचारिकताएं कुछ दिनों में पूरी होने की संभावना है। राज्य की वित्तीय स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार ने विधानसभा चुनाव के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज मांगा।
चुनाव से दो महीने पहले अकेले सितंबर में 12,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया था। 18 अक्टूबर को सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। आठ दिन बाद उसने 2,000 करोड़ रुपये का और कर्ज लिया और वोटिंग के पांच दिन बाद 22 नवंबर को 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज मांगा गया।
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अधिकारियों ने कहा कि चुनाव के बीच या चुनाव के बाद कर्ज लेने पर कोई रोक नहीं है। पिछले वर्षों में, ऋण आम तौर पर अंतिम तिमाही में लिया जाता था, लेकिन इस वर्ष इसे पूरे वर्ष के अंतराल में लिया गया। एक अधिकारी ने कहा कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में तीन महीने और बचे हैं, ऐसे में एमपी का कर्ज और बढ़ जाएगा। सूत्रों ने बताया कि साल के अंत तक राज्य पर कुल कर्ज 3.85 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है।
सूत्रों का दावा है कि चुनाव से पहले सरकार की चुनाव पूर्व घोषणाओं और योजनाओं से खर्च में कम से कम 10% की वृद्धि होने का अनुमान है। नई भाजपा सरकार को राज्य के वित्त का प्रबंधन करने और विकास की जरूरतों और कल्याणकारी योजनाओं के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई होगी।
13 जुलाई को विधानसभा में पारित 26816.6 करोड़ रुपये के प्रथम अनुपूरक बजट में 762 करोड़ रुपये आये थे। भारत सरकार और अन्य जगहों से लिए गए कर्ज का उपयोग मुख्य रूप से राज्य के विकास और सिंचाई बांधों के निर्माण, परिवहन सेवाओं में सुधार, किसानों, बिजली उत्पादन, स्थानीय निकायों जैसे तीसरे पक्षों को ऋण देने जैसी लाभकारी संपत्तियों के निर्माण के लिए किया गया था।
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