सिंगरौली

कई वर्षों से सिंगरौली में काट रहे हैं मलाई, एक ही जिले में जमे खनिज अधिकारीनहीं थम रहा रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन।


नहीं थम रहा रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन।

मध्यप्रदेश शासन द्वारा शासकीय अधिकारी व कर्मचारियों के लिए 2019-20 में स्थानांतरण नीति बनाई गई थी।
नीति में यह साफ उल्लेख है कि एक अधिकारी को 3 वर्ष से ज्यादा किसी भी जिले में सेवा नहीं देना होगा। परंतु सिंगरौली जिले में शासन की स्थानांतरण नीति पर भारी पड़ रहे जिले के खनिज अधिकारी कई वर्षों से सिंगरौली में काट रहे हैं मलाई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 जिले में 3 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद दोबारा उस जिले में पोस्टिंग नहीं किया जाता है लेकिन शासन की स्थानांतरण नीति पर सिंगरौली जिले के खनिज अधिकारी भारी पड़ रहे हैं खनिज अधिकारी (Mineral Officer) एके राय के लिए मध्य प्रदेश के 52 जिले में से एक सिंगरौली जिले की खनिज अधिकारी की कुर्सी से प्रेम हो गया है।

जिसके कारण विगत कई वर्ष पूर्व स्थानांतरण होने के बाद भी राजनैतिक पकड़ के कारण पुनः सिंगरौली जिले में अपना स्थानांतरण करवा कर लंबे अरसे से एक ही जिले में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

कहा जाता है कि खनिज अधिकारी (Mineral Officer) एके राय मानो अंगद के पांव बन गए हैं अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा अखबारों की सुर्खियों में बने रहते हैं। जिले में चल रहे अवैध उत्खनन व परिवहन को लेकर कई बार खनिज अधिकारी के खिलाफ ज्ञापन तक सौंपा गया है परंतु जानकार बताते हैं कि लंबे समय से जमे रहने के कारण सत्तापक्ष के नेताओं से अच्छी पैठ बना चुके हैं।

जिसके कारण इनके खिलाफ धरना आंदोलन लिखना पढ़ना सब कुछ व्यर्थ नजर आता है। जिस तरह से जिले में अवैध रेत का उत्खनन व क्रेशर संचालकों की मनमानी चल रही है इन्हीं कारणों से जिले के खनिज अधिकारी अखबारों की सुर्खियां बटोर रहे हैं।

रेत माफियाओं के चक्रव्यूह भेदने में नाकाम खनिज अधिकारी
अब तो ऐसा लगने लगा है कि खनिज अधिकारी के कार्यकाल में अवैध खनन रुकेगा ही नहीं ना ही रेत की चोरी एक ही जिले में वर्षों से पदस्थ होने के कारण भी रेत माफियाओं के चक्रव्यूह को भेदने में नाकाम साबित हो रहे हैं ऐसे में चर्चा है कि साहब की विदाई हो जिससे रेत माफिया की कमर टूटेगी।

लंबे कार्यकाल के बाद भी नहीं हो रहा स्थानांतरण
जिले में इन दिनों 3 वर्षों से जमे अधिकारी कर्मचारियों का तबादला जोर-शोर से किया जा रहा है लेकिन जिले में खनिज अधिकारी की कुर्सी पर बैठे खनिज अधिकारी के तबादले को लेकर चर्चाएं जोरों पर है बताया जा रहा है कि खनिज अधिकारी की राजनीतिक पकड़ के कारण उनके स्थानांतरण करने की जहमत कोई नहीं उठाना चाहता जिसके कारण एक लंबे अरसे से एक ही जिले में पदस्थ खनिज अधिकारी अखबारों की सुर्खियों में बने हुए हैं।

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