कोल कर्मियों की भविष्य निधि के 315 करोड़ रुपए डूबे, प्रबंधन की गलत नीति का खामियाजा भुगतना होगा श्रमिकों को
कोयला उद्योग से बड़ी खबर सामने आ रही है। जिसमें कोयला खान भविष्य निधि प्रबंधन (CMPFL) की लापरवाही के चलते कोल कर्मियों का 315 करोड़ रूपये डूब गए। कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) ने यह बड़ा खुलासा किया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि, वर्ष 2020 में खान भविष्य निधि संगठन (CMPFL) ने DHFL में 1390.25 करोड़ रुपए का निवेश किया था। इसमें कंपनी 864 करोड़ रुपए वापस पाने में तो कामयाब रही, लेकिन 526.25 करोड़ रुपए वापस नहीं ले पाई।
कैग ने बताया कि, बाजार में जब DHFL की साख गिर रही थी। उसकी रेटिंग AA निगेटिव हो गई थी। तब खान भविष्य निधि संगठन (CMPFL) के आयुक्त के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। जिसके तहत सीएमपीएफ, बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में शामिल करने के लिए कहा गया। लेकिन तय समय पर ट्रस्टीज बोर्ड की बैठक नहीं हो पाई।
इसके बाद, 14 मई 2019 को डीएचएफएल की रेटिंग घटकर AA माइनस से BB माइनस तक पहुंच गई। इतना खराब प्रदर्शन के बाद भी 05 जून 2019 को क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने DHFL को संस्थानों की सूची बाहर निकाल दिया। फिर 24 जून, 2019 को संयुक्त कोयला सचिव ने इस मुद्दे को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में उठाने के लिए कहा गया। लेकिन समय बैठक का समय निकल गया। और बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक नहीं हो पाई। जिसके परिणाम स्वरुप, बाजार में कंपनी की साख गिरती चली गई है। और DHFL में 315.25 करोड़ रुपए डूब गए।
वहीं इस मामले पर राष्ट्रिय कोयला खदान मजदूर संघ (इंटक) के अध्यक्ष, गोपाल नारायण सिंह का कहना है कि, कोयले की बिक्री से प्रति टन कुछ रुपए इस फंड में जमा किया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों को पैसा व पेंशन मिलता रहे। ऐसे में डीएचएफएल में 315 करोड़ रुपए डूबने का असर कर्मचारियों पर पड़ेगा।