मध्य प्रदेश

नदी की बाढ़ में बह गए तीन युवकों में से एक का नहीं लगा पता,खोजी दल की तलाश जारी।

एनडीआरएफ एसडीआरएफ की टीमों का चल रहा सर्च अभियान।

  • गत शनिवार को तहसील क्षेत्र ब्योहारी से बनास नदी में पिकनिक मनाने आए 6 युवक सेल्फी लेने के दौरान अचानक आई बाढ़ की चपेट में बह गए थे जिनमें 3 बहने के बावजूद कुछ दूरी पर सुरक्षित निकाल लिए गए किंतु तीन युवक लापता हो गए थे उनका दूसरे दिन सघन सर्च अभियान चलाया गया जिसमें देर शाम लगभग 8:00 बजे एक का शव बरामद हुआ। जबकि सर्च अभियान के तीसरे दिन दोपहर 3:00 बजे के लगभग दूसरे युवक का भी शव बरामद हुआ और चौथे दिन का सर्च अभियान भी जारी रहा लेकिन एक युवक का कोई पता नहीं चला जिसको लेकर खोजी दल का सर्च अभियान जारी है।
  • प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिकनिक मनाने आए युवकों का बनास नदी में बाढ़ की चपेट में आकर वह जाने की खबर लगते ही सीधी एवं शहडोल जिले का प्रशासनिक अमला सक्रिय होकर लापता युवकों की खोज खबर करने सर्च ऑपरेशन चलाया किंतु शनिवार को कोई सुराग नहीं मिलने की स्थिति में दूसरे दिन रविवार को भी पूरा दिन सर्च ऑपरेशन चलाया गया था जिसमें एक का शव बरामद हुआ था।
  • दूसरे दिन कठ बंगला से शुरू हुआ था सर्च ऑपरेशन
  • जिले में प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक कठ बंगला शिकारगाह से लगी हुई बनास नदी से सर्च ऑपरेशन सीधी ब्यौहारी मार्ग के बनास नदी में पुल की ओर किया गया किंतु पुल तक नहीं पहुंच सका और एक युवक का शव देर शाम बरामद हुआ। अगले दिन फिर सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ जिसमें दोपहर 3:00 बजे के लगभग दूसरा शव भी बरामद हुआ जिन्हें शव पंचनामा एवं पोस्टमार्टम के उपरांत अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया है वहीं तीसरे युवक की तलाश में सर्च ऑपरेशन जारी है लेकिन घटना के चौथे दिन लापता युवक का पता खबर लिखे जाने तक नहीं चला।

शोकाकुल परिवारों तक नहीं पहुंचे सत्ता पक्ष व विपक्ष के प्रतिनिधि व नेता
ब्योहारी क्षेत्र में इस बात की चर्चा जोरों पर चल रही है और लोगों में आक्रोश भी है कि इतनी बड़ी घटना के बादजूद चाहे सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि अथवा नेता या कि विपक्ष के नेता हों कोई भी पीड़ित परिवारों के घर नहीं पहुंच सके और ना ही उन्हें सांत्वना दी गई ऐसे में सवाल उठता है कि जनता की सेवा करने व उनके सुख दुख में सहयोग देने का भरोसा देकर चुनावी सीजन में काफी नेता देखे जाते हैं और उन्हीं में से विधायक भी निर्वाचित होते हैं लेकिन जब इस तरह की आपत्ति आती है तब ऐसे नेताओं की संवेदनहीनता पर आम लोगों की प्रतिक्रिया देना और आक्रोश प्रकट करना स्वाभाविक हो जाता है।

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