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SINGRAULI – एपीएमडीसी के विस्थापितों ने अपने हक के लिए उठायी आवाज तो मिली माँ बहन की गाली

जनप्रतिनिधियों पर से उठ गया जनता का विश्वास, खुद सड़क पर उतरे

सिंगरौली। एपीएमडीसी सुलयरी कोल ब्लॉक और विस्थापित ग्रामीणों के बीच 22 नवंबर 2022 को 11 सूत्रीय मांगों के संबंध में एक समझौते पर जिला प्रशासन, विस्थापित ग्रामीण, कंपनी प्रबंधन ने हस्ताक्षर किया था, समझौते के अनुसार 1 माह के अंदर उनकी जायज मांगों पर विचार करते हुए उसे पूरा करने का आश्वासन दिया गया लेकिन 8 माह का समय व्यतीत हो जाने के बाद भी ग्रामीणों की मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हुई।जिसके बाद विस्थापित ग्रामीणों ने आंदोलन का रुख अपनाया, गुरुवार यानी 15 जून को विस्थापित ग्रामीण एकजुट होकर कंपनी के कोल परिवहन कर रहे वाहनों को रोक दिया। जिसके बाद पुलिस ग्रामीणों को समझाने के बजाय उनसे से ही उलझ गए और ग्रामीण महिला के सामने ही ग्रामीणों को थानेदार ने भद्दी-भद्दी गालियां दी। थानेदार तथा एक पुलिसकर्मी पुष्पराज सिंह ने धरनास्थल पर पहुंचकर विस्थापितों को जमकर माँ बहन की गली दी तथा धरना समाप्त करने की चेतावनी दी। विस्थापितों का कहना है कि उनका विश्वास स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर से उठ गया है। कई बार शिकायत के बावजूद आज तक उन्हें उनका हक नहीं मिला।थक हारकर विस्थापित सड़क पर पहुंच गये परन्तु प्रशासन द्वारा उनके धरना प्रदर्शन को कुचलने का प्रयास किया गया। थानेदार द्वारा सरेआम जमकर भद्दी-भद्दी गालियां दी गयीं।

थानेदार से भी आगे निकला कारखास

धरना दे रहे ग्रामीणों को समझाईश देने पहुंचे थानेदार सुरेन्द्र यादव व पुलिसकर्मी पुष्पराज द्वारा बिना कुछ पूछे जाने पहुंचते ही गालियों की बौछार शुरू कर दी गयी। क्या महिला, क्या पुरूष जो भी सामने आया उसे माँ बहन की भद्दी-भद्दी गालियां दी गयीं। लगभग पाँच वर्षों से लंघाडोल थाने में जमें कारखास पुष्पराज तो एक कदम और आगे निकले। जिस तेजी से उनके मुंह से गाली निकल रही थी देखकर लग रहा था कि इन्हें गाली देने की कहीं ट्रेनिंग दी गयी है।

पुलिस अधीक्षक की समझाईश के बावजूद सुधरने का नाम नहीं ले रहे पुलिसकर्मी

पुलिस अधीक्षक सिंगरौली मो. यूसुफ कुरैशी द्वारा लगातार पुलिस कर्मियों तथा अधिकारियों को समझाईस दी जाती है कि जनता के प्रति पुलिस का व्यवहार नम्र हो। परन्तु सिंगरौली की पुलिस पर इसका असर कत्तई देखने को नहीं मिल रहा है। कई मीटिंग में पुलिस अधीक्षक द्वारा ताकीद दी गयी है कि फरियादियों के साथ पुलिस नरमी से पेश आये परन्तु धरना दे रहे विस्थापितों के साथ लंघाडोल की पुलिस ने जिस तरह का व्यवहार दिखाया उससे साफ समझा जा सकता है कि पुलिस अधीक्षक की बातों का पुलिसकर्मी किस तरह अनुसरण करते हैं।

कंपनी की दलाली में जुटी लंघाडोल पुलिस

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन जनता की समस्याओं के समाधान के लिए बनायी गयी है परन्तु जब अपने हक की आवाज जनता द्वारा उठायी जाती है तो लंघाडोल पुलिस एपीएमडीसी कंपनी की ढाल बनकर आम जनता को ही निशाना बनान से नहीं चूकती।

देवसर विधायक ने साधी चुप्पी

स्थानीय लोगों का कहना है कि विस्थापितों के साथ लंघाडोल पुलिस द्वारा खुलेआम अत्याचार किया जा रहा है इसके बावजूद स्थानीय विधायक सुभाष वर्मा से शिकायत करने के बावजूद उनके द्वारा एक भी शब्द नहीं कहा गया। विधायक ने पूरे मामले में चुप्पी साधी हुये हैं। लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि थाना प्रभारी देवसर विधायक के करीबी हैं इसी कारण दोनों मिलकर कंपनी की दलाली कर रहे हैं और अपने हक की आवाज उठाने पर जनता को माँ बहन की गाली मिल रही है।

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