मूलभूत सुविधाओं से 13 साल बाद भी वंचित हिंडाल्को के विस्थापित , करारनामे की शर्ते भूल गया सीएसआर
मूलभूत सुविधाओं से 13 साल बाद भी वंचित हिंडाल्को के विस्थापित , करारनामे की शर्ते भूल गया सीएसआर
“मच्छरदानी और कंबल वितरण कर सीएसआर लूट रहा श्रेय :- लक्ष्मण चतुर्वेदी
“अमन संवाद // सिंगरौली” :- गौरतलब हो कि 2007-08 में जब हिंडाल्को महान बरगवां में स्थित होने की सूचना लोगों को मिली तो एक नई उम्मीद लोगों में जगी थी कि लोगों को रोजगार का एक अवसर और मूलभूत सुविधाएं कंपनी के सीएसआर मद से उपलब्ध होंगी जिससे क्षेत्र का विकास होगा लेकिन जब कंपनी का एरिया सुरक्षित हो गया तो हिंडाल्को के अधिकारियों के तेवर बदल गए । मूलभूत सुविधाएं तो छोड़िए संविदा की नौकरी तक बेमुश्किल लोकल लोगों को मिली लेकिन उन्हें भी समयानुसार षड्यंत्र के तहत धीरे धीरे बाहर करने का काम यहां के अलबेली चाल में मस्त अधिकारियों ने करना शुरू कर दिया । वही बात करे सीएसआर मद से होने वाले विकाश कार्यों की तो केवल और केवल मच्छरदानी और कंबल वितरण कर श्रेय ले रहा सीएसआर विभाग । करारनीमे मे तय हुई शर्तो की बात करें तो शायद मुश्किल से 40 प्रतिशत भी काम तय शर्त के अनुसार कंपनी नही कर पाई है । ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतना बड़ा फंड सीएसआर का कहां जा रहा है । इन सब तमाम जानकारीयों के लिए आरटीआई से जानकारी उपलब्ध कराने की पहल शुरू हो चुकी है । वही संविदा नौकरी से निकाले जाने की संख्या लोकलो की बढ़ती जा रही है । जिसके लिए भी आरटीआई के माध्यम से जानकारी ली जाएगी कि कितने प्रतिशत लोकल लोगों को और कितने बाहरियों को कंपनी ने रोजगार उपलब्ध कराई है। आर्थिक शोषण की बात करे तो 10 हजार की नौकरी कुशल श्रमिकों को दिया गया है जिसकी एक्चुअल जानकारी इकट्ठा जल्द ही इकट्ठा कर आंदोलन शुरू किया जाएगा ।।