सिंगरौली

SINGRAULI – सूख गए पौधों के खाली स्थान। लाखों रुपए का बजट खर्च कर रोपे पौधे सिंचाई के अभाव में सूखे।

अंकुर अभियान: मुक्तिधाम गनियारी के पास रोपे गए हैं डेढ़ लाख से अधिक पौधे।

सिंगरौली. शहर में हरियाली का सपना संजोते हुए मुक्तिधाम गनियारी के पास लाखों रुपए खर्च कर डेढ़ लाख से अधिक पौधों का रोपण किया गया, लेकिन सिंचाई के अभाव में आधे से अधिक पौधे सूख गए हैं। वैसे तो पौधों के संरक्षण की जिम्मेदारी नगर निगम के हवाले है, लेकिन हकीकत में पौधे भगवान भरोसे हैं।

अंकुर अभियान के तहत गनियारी में करीब 25 एकड़ में पौधरोपण किया गया है। करीब डेढ़ वर्ष शुरू अभियान के तहत दो से तीन चरणों में पौधरोपण किया गया। पौधरोपण के साथ तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश पर कटीले तारों से बैरिकेडिंग की गई और सिंचाई के लिए 40 लाख का ठेका दिया गया। ठेका की अवधि चार महीने पहले ही समाप्त हो गई। इसके बाद से पौधों की सिंचाई का काम बंद हो गया। नतीजा आधे से अधिक पौधे चिलचिलाती धूप के भेंट चढ़ गए। अधिकारियों का कहना है कि नई एजेंसी को जिम्मा दिए जाने तक तत्काली ठेकेदार का सिंचाई प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया गया है, लेकिन हकीकत में पौधों की सिंचाई नहीं हुई। गौरतलब है कि पौधों के रोपण में बैरिकेडिंग से लेकर गड्ढा खोदने तक में 10 लाख से अधिक की रकम खर्च हुई है।

पौधरोपण कर भूल गईं संस्थाएं

सिंचाई की व्यवस्था में भी अड़चन

मुक्तिधाम के आसपास के इलाके में बोरिंग पंप सफल नहीं है। सिंचाई के लिए पास की मयार नदी से पानी लेना एक मात्र विकल्प है। क्षेत्र बड़ा है, इसलिए नदी से पानी से पौधों की नियमित सिंचाई नहीं हो पा रही है। पौधरोपण वाले क्षेत्र में बोरिंग पंप लगाने की मांग की जा रही है। सफल होने की संभावना कम होने के चलते नगर निगम प्रयास नहीं कर रहा है।

पूर्व की ठेका एजेंसी का समय समाप्त होने पर नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की गई थी। फिलहाल वर्तमान में पौधों की सिंचाई कराई जा रही है। संभव है कि कुछ पौधे सूख गए हो। वहां दूसरे पौधे लगाए जाएंगे। वैसे भी 10 फीसदी कैजुअलिटी मानी जाती है। अधिक पौधों के सूखने की बात कर रहे हैं तो जांच कराएंगे।

वीबी उपाध्याय, कार्यपालन यंत्री नगर निगम

मुक्तिधाम के पास कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा पौधरोपण किया गया है, लेकिन पौधरोपण के बाद संरक्षण में केवल एक संस्था संयुक्त व्यापार मंडल वैढ़न ने रुचि दिखाई है। यही वजह है कि केवल व्यापारियों द्वारा रोपे गए पौधे सुरक्षित हैं। बाकी संस्थाओं के पौधे सूख गए हैं। वहां केवल संस्थाओं के बोर्ड शेष बचे हैं।

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