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SINGRAULI – तहसील कार्यालय देवसर में पदस्थ बाबू मुनींद्र मिश्रा के ऊपर लगे गंभीर आरोप

SINGRAULI – तहसील कार्यालय देवसर में पदस्थ बाबू मुनींद्र मिश्रा के ऊपर लगे गंभीर आरोप

कलेक्टर कार्यालय से स्थानांतरण के लिए तीन बार हुआ आदेश ,अभी तक नहीं किया गया भारमुक्त

ईओडब्ल्यू रीवा के पत्र पर कलेक्टर ने किया है स्थानांतरण, प्रभावित हो रही जांच


इंडिया टीवी एमपी तक – सिंगरौली/सिंगरौली जिले के देवसर तहसील कार्यालय में पूरी तरह से बाबू राज कायम है कलेक्टर का आदेश धूल फांक रहा है और कर्मचारी सरेआम मनमानी कर रहे हैं, फिलहाल देवसर तहसील कार्यालय में पदस्थ बाबू मुनींद्र मिश्रा के ऊपर कुछ इसी तरह के आरोप लग रहे हैं बताया जाता है कि इनका चितरंगी के लिए ट्रांसफर हो चुका है और कलेक्टर कार्यालय सिंगरौली से तीन बार आदेश की कॉपी जारी हुई है लेकिन आज तक बाबू मिश्रा भार मुक्त नहीं हुए हैं बताते हैं कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक इओडब्ल्यू कार्यालय रीवा शिकायत हुई है जिसकी जांच ईओडब्ल्यू की टीम कर रही है अब स्वयं यूएडब्ल्यू रीवा ने कलेक्टर सिंगरौली को पत्र लिखकर कहां है कि संबंधित बाबू को देवसर सरई से अन्यत्र जगह स्थानांतरित करना जरूरी है ताकि जांच प्रभावित न हो पत्र जारी होने के बाद कलेक्टर ले संबंधित बाबू को चितरंगी तहसील के लिए स्थानांतरित कर दिया था यह स्थानांतरण आदेश करीब 8 माह पूर्व जारी हुआ था लेकिन आज तक बाबू को देवसर से भारमुक्त नहीं किया गया इस बीच कलेक्टर कार्यालय सिंगरौली से कई बार भारमुक्त कराने होने संबंधित पत्र जारी हुए लेकिन किसी भी पत्र पर अमल नहीं की गई और अभी भी संबंधित बाबू देवसर कार्यालय में पदस्थ है। अब बताते हैं कि बाबू मुनींद्र मिश्रा के ऊपर गंभीर आरोप लगे शिकायत कर्ताओं के अनुसार बर्खास्त पटवारी हरिशंकर शुक्ला को न्याय पाने के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है वही उपखंड तहसीलदार देवसर मे करीब 25 वर्षों से पदस्थ कई आरोप की पुष्टि होने के बाद भी देवसर तहसील से स्थानांतरण के बाद भी भार मुक्त नहीं किया गया

लगे हैं गंभीर आरोप

तहसील कार्यालय दोष में पदस्थ बाबू मुनींद्र मिश्रा के ऊपर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं बताया जा रहा है कि वर्ष 2010-11 में ही तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा कमिश्नर रीवा को पत्र लिखकर दोषी करार दिया गया था और ईओडब्ल्यू रीवा के द्वारा नियमित अपराध क्रमांक 28/15 दर्ज कर विवेचना की जा रही है।जिस में पदस्थ 25 वर्षों से

अभिलेखागार प्रभारी मिश्रा प्रमुख दोषी के रूप में है जिसमें ईओडब्ल्यू के द्वारा मार्च 2022 में देवसर तहसील से अन्यत्र मिश्रा को ट्रांसफर करने के लिए कलेक्टर सिंगरौली को पत्र लिखे जाने के बाद कलेक्टर सिंगरौली द्वारा चितरंगी तहसील ट्रांसफर किया गया जो लगभग सात-आठ माह बीत चुका और कलेक्टर कार्यालय से कई विभिन्न दिनांक को पत्र जारी होने के बाद भी भारमुक्त न करना कई सवाल खड़ा कर रहा है

शासकीय भूमि में हेराफेरी कर पटवारी को बनाया बलि का बकरा

इंडिया टीवी एमपी तक – बताते हैं कि तहसील उपखंड एवं जिले के संगठित गिरोह द्वारा पटवारी हरिशंकर शुक्ला को सेवा से वर्ष 2010 में पृथक कराया गया था जबकि उनकी सेवा बहाली की फाइल 25/अपील /2011-12 जिले के कर्मचारी कलेक्टर रीडर द्वारा फाइल को रुकवा कर स्थापना शाखा में जमा कर लगभग 10 वर्षों से भटकाया जा रहा है। बताते हैं कि तत्कालीन तहसीलदार उपेंद्र सिंह, के द्वारा गलत आरोप लगाकर वर्ष 2010-11 में सेवा से पृथक करवा दिया गया जबकि ट्रांसफर रिलीव हो जाने के बाद वर्णित अधिकारियों/कर्मचारियों के द्वारा अपने को फंसता देख पटावरी को अकारण फंसाया गया है सेवा से पृथक पटवारी के अनुसार ग्राम कठदहा तत्कालीन तहसील देवसर के राजस्व खसरे में पदस्थापना के दौरान पटवारी के अभिरक्षा में रखे खसरे सुरक्षित थे,जिसको अभिलेखागार में जमा कर देने के बाद मध्यप्रदेश शासन की भूमि के स्थान पर भूमि स्वामी स्वत्व खसरे में सफेद स्याही से मिटा कर पुनः मध्यप्रदेश शासन दर्ज कर झूठा आरोप लगाते हुए कार्यवाही की गई है जबकि यह सब देवसर तहसील में रखे रिकॉर्ड की जिम्मेदारी ऑफिस कानूनगो मुनेंद्र मिश्रा की है और उनके द्वारा ग्राम कटदहा के अलावा अपने स्वयं के भाई के नाम लगभग 25 एकड़ के करीब इसी तरह बगैर किसी ठोस आधार के भूस्वामी किया गया था। तहसील देवसर में रखे अभिलेखों में ट्रांसफर रिलीव के 21 दिन पहले अभिलेखों में मध्यप्रदेश शासन की भूमि पर कई विभिन्न भूमि स्वामियों का नाम दर्ज कर पट्टा प्रदान किया गया था जिसकी जानकारी तहसीलदार उपेंद्र सिंह एवं बाबू मुनेंद्र मिश्रा को होने के बाद भी पटवारी को 21 दिनों के बीच में किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई थी उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई 2010 को जब जानकारी हो गई थी तो 9 जुलाई 2010 का झूठा एवं मनगढ़ंत बयान क्यों संलग्न किया गया जिसकी जांच आज तक क्यों नहीं कराई गई? उपेंद्र सिंह तहसीलदार एवं अन्य के द्वारा जिले के कलेक्टर कार्यालय में रखा राजस्व अभिलेख बंदोबस्त से पहले वर्ष 1981-82 से वर्ष 1984-85 तक के राजस्व अभिलेखों में कैसे मध्यप्रदेश शासन की भूमि पर भूमि स्वामी लिखवाया गया है जिसकी जांच आज तक क्यों नहीं कराई गई? उक्त कर्मचारियों के द्वारा उपखंड कार्यालय देवसर में रखे कई विभिन्न राजस्व अभिलेखों में भी सफेद स्याही लगाकर विभिन्न फर्जी प्रविष्ठियां दर्ज कर कई-कई करोड़ों का मुआवजा लिए गए हैं,उक्त तथ्य की जांच क्यों नहीं कराई जा रही है? कर्मचारियों के द्वारा ग्राम कठदहा तत्कालीन तहसील देवसर के राजस्व रिकॉर्ड के साथ कई विभिन्न ग्रामों की मध्यप्रदेश शासन स्वत्व की भूमियों को बगैर किसी आदेश हवाला के दर्ज कर दी गई जिसकी कुछ ग्रामों के संबंध में आरोपी तहसीलदार के द्वारा जारी सूची तमाम शिकायतों के साथ दस्तावेज के साथ संलग्न किया जा रहा है, जिस के संबंध में आज तक जांच क्यों नहीं कराई गई? संगठित कर्मचारियों के द्वारा ग्राम कठदहा तत्कालीन तहसील देवसर में अपने साथियों के नाम करने के साथ ग्राम कर्री में अपने परिवार जनों के नाम भी जो मध्यप्रदेश शासन की भूमि को भूमि स्वामी स्वत्व प्रदान किया था जिसकी जांच कर उनके ऊपर कार्यवाही आज तक दोषियों के ऊपर नहीं की गई ,फिलहाल उक्त कर्मचारियों के द्वारा सफेद स्याही की प्रथा तहसील,उपखंड, एवं जिले के राजस्व अभिलेखों की निष्पक्ष जांच करने की मांग की गई है।

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