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SINGRAULI NEWS: देवसर जनपद क्षेत्र अंतर्गत प्राचीन डेवा नाथ के मंदिर में आज भी सुविधाओं का अभाव

यहां से जुड़ी है क्षेत्र वासियों की आस्था,लोगों ने कहा बड़ी मशक्कत के बाद यहां पहुंचते हैं श्रद्धालु फिर भी इस ओर नहीं है किसी का ध्यान

सड़क,पानी और बिजली होना बेहद जरूरी

सिंगरौली/देवसर- सिंगरौली जिले के देवसर जनपद अंतर्गत आने वाला भगवान शिव की नगरी डेवा जो देवसर मुख्यालय से महज 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर है,जिसे धार्मिक स्थल के रूप में डेवानाथ की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।गौरतलब है कि यहां से क्षेत्र वासियों सहित दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था भी जुड़ी हुई है।प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है,यहां तक की कुछ महत्वपूर्ण तिथियों पर यहां भारी भरकम मेले का आयोजन भी होता है। मेले के दौरान दूर-दूर से लोग डेवानाथ के दर्शन हेतु पहुंचते हैं,हालांकि सामान्य दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है।दरअसल यह स्थल बड़े-बड़े पहाड़ों,पेड़-पौधों, नदी-नालों एवं झील-झरनों के बीच घिरा हरियाली के सघन वादियों के मध्य स्थित है।यहां का मनोरम दृश्य देखकर तन और मन प्रफुल्लित हो जाता है।जो एक बार आता है वह दोबारा आने को आतुर रहता है।फिर भी विकास की बहती बयार में ऐसे धार्मिक स्थल विकास से अछूते हैं।

धार्मिक स्थल की अनदेखी से क्षेत्र वासियों में कड़ी नाराजगी

कहने को तो विकास की ऐसी बयार बह रही है कि मानों विकास ही विकास नजर आ रहा हो,किंतु जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। धर्म के प्रति आस्था रखने वाले लोगों की माने तो देवसर जनपद क्षेत्र अंतर्गत प्राचीन डेवा नाथ के मंदिर में आज भी सुविधाओं का अभाव है।यहां पहुंचने के लिए सुगम सड़क का निर्माण नहीं होने से श्रद्धालुओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।इतना ही नहीं बल्कि पानी,बिजली और धर्मशाला का भी अभाव है।
क्षेत्र वासियों के कथनानुसार डेवानाथ का यह धार्मिक स्थल अभी भी विकास की दृष्टि से उपेक्षित है।

मंदिर तो तैयार,सुविधा बदहाल

शिव की नगरी डेवानाथ की बात की जाए तो धर्म प्रेमियों के सहयोग से मंदिर बनकर तैयार है।किन्तु यहां सुविधाओं की दृष्टि से देखा जाए तो मय व्यवस्थाएं बदहाल स्थिति में हैं। यहां न तो पेय जल की उचित व्यवस्था है और न ही बिजली की।जबकि श्रद्धालुओं एवं क्षेत्र वासियों की भावना इस धार्मिक स्थल से जुड़ी हुई हैं किंतु इस ओर जिम्मेदारों ने ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा।यही कारण है कि मंदिर तो किसी प्रकार से बनकर तैयार हो गया है लेकिन सुविधाओं के लिहाज से व्यवस्थाएं आज भी बदहाल स्थिति में है।वहीं स्थानीय जनों ने जिला प्रशासन एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।

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