SINGRAULI NEWS:रेत के लिए नदियों का सीना छलनी कर रही सहकार ग्लोबल एजेंसी, प्रशासन बना मूकदर्शक
तय सीमा से ज्यादा क्षेत्र से हो रही रेत की निकासी, मठाधीश बने बैठे जिला खनिज अधिकारी को नही पड़ता कोई फर्क
सिंगरौली जिले की 42 रेत खदानों का ठेका पाने वाली मुंबई की सहकार ग्लोबल एजेंसी की मनमानी एक माह के अंदर ही अपनी चरम सीमा को पार करने पर उतारू है। अभी केवल 16 खदानों से ही रेत निकासी की पर्यावरणीय अनुमति पाने वाली यह एजेंसी पर्यावरण संरक्षण से जुड़े नियमों को ताक पर रखकर रेत निकासी कर रही है। दरअसल 42 में से 11 खदानों की ईसी-एनओसी अभी भी पूर्व ठेकेदार के नाम पर है। इस कारण इन खदानों से रेत की निकासी नहीं हो पा रही है। वहीं 15 खदानों की पर्यावरण व प्रदूषण से जुड़े अनापत्ति के आवेदन माइनिंग कारपोरेशन भोपाल में छह माह से लंबित हैं। ऐसे में 62 करोड़ 34 लाख से ज्यादा में सभी खदानों का ठेका लेने वाली कंपनी हर माह जमा होने वाले किश्त व अन्य खर्चों की भरपाई के लिए 16 खदानों में प्रतिदिन तय खनन सीमा से ज्यादा की रेत निकासी कर रही है। इसके लिए भारी भरकम मशीनें लगाई हैं। जबकि उसे साल में केवल 16 लाख घन मीटर रेत निकासी की ही अनुमति मिली है।
कितनी निकल रही रेत इसकी कोई निगरानी ही नहीं—
बता दें कि जनवरी में अनुबंध के बाद से ही रेत निकालने के काम में जुटी सहकार ग्लोबल एजेंसी की ओटीपी अभी भी नहीं जारी हुई है। बता दें कि माइनिंग कारपोरेशन से जारी होने वाली ओटीपी के माध्यम से ही प्रतिदिन की रेत निकासी और जारी होने वाली टीपी की जानकारी खनिज विभाग के स्थानीय कार्यालय को होती है। इसके लिए स्थानीय कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारी भी पहल नहीं कर रहे हैं। नया ठेका होने के कारण एक तरह से कंपनी को मनमानी रेत खनन की मानों छूट सी मिल गई है। वहीं मठाधीश की तरह जिले में वर्षों से कुंडली मारकर पैर जमाए बैठे जिला खनिज अधिकारी को कुछ पता ही न हो या सब कुछ जानकर भी अनजान बने बैठे है ?
परिवहन विभाग नंबर प्लेट लगवाने में तो पुलिस केवल ट्रैक्टरों मे ही उलझी—
खदानों से रेत निकलकर हर दिन प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ यूपी तक जा रही है। भारी वाहनों में जाने वाली रेत का रेट बढ़ा दिया गया है तो ट्रांसपोर्टर्स भी दूरी को आधार बनाकर मनमाना दाम वसूल रहे हैं। प्रशासन की नजर से बचने के लिए ऐसे मार्गों का उपयोग किया जा रहा है। जहां भारी वाहनों के चलने पर मनाही है। जारी होने वाली टीपी से अधिक रेत लादने वाहनों की जांच नहीं हो रही है। इसके लिए जिम्मेदार महकमा परिवहन विभाग हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट लगवाने और इसे लगाकर न चलने वाले वाहनों की धरपकड़ में जुटा है। पुलिस व खनिज विभाग के लोग स्थानीय स्तर पर रेत परिवहन से जुड़े ट्रैक्टरों को पकड़ने में ही जुटे हैं।
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