SINGRAULI: कलिंगा कंपनी स्थानीय लोगों का कर रही शोषण अमलोरी परियोजना प्रबंधक की बल्ले बल्ले जिम्मेदार मौन
अमलोरी परियोजना प्रबंधन की चुप्पी का खामियाजा भुगत रही स्थानिक श्रमिक...
कलिंगा कंपनी की मनमानी से जनता त्रस्त..
सिंगरौली जिले के अमलोरी परियोजना प्रबंधन की चुप्पी का खामियाजा भुगत रही स्थानिक श्रमिक
मामला अमलोरी परियोजना में ओबी का काम कर रही कलिंगा कम्पनी का है जोकि
सिंगरौली जिले के औद्योगीकरण के कारण जिले के अधिकांश लोगों को विस्थापन का डस्ट को झेलना पड़ रहा है। साथ ही इन कम्पनियों के कारण पर्यावरण भी प्रदूषित के चलते लोग विभिन्न प्रकार के प्राण घातक बीमारियों से जूझ रही है जनता दूसरी ओर देश के विकास के नाम पर अपना सब कुछ समर्पित करने वाले स्थानीय लोग एवं युवा पीढ़ी रोजगार की अपार सम्भावनाओं के बाद भी बेरोजगारी की मार झेल रहे है आलम यह है कि जिले की विभिन्न परियोजनाओं में काम करने वाली कम्पनियों द्वारा स्थानीय युवाओं को रोजगार देने में कोई रूचि नहीं दिखाई जा रही है। यहां तक कि इन कम्पनियों द्वारा श्रमिक भी अन्य राज्यों से आयात किये जा रहे हैं। इसके चलते स्थानीय बेरोजगार युवा रोजगार की तलाश में पलायन के लिए विवश हैं। जिसका जीता जागता प्रमाण हाल ही में अमलोरी परियोजना में ओबी का काम करने वाली कलिंगा कम्पनी में देखा जा सकता है। इस पूरे मामले में अमलोरी परियोजना प्रबंधन के गैर जिम्मेदार अधिकारियों को कोई फर्क नही पड़ता की आम जनता कितने समस्याओं में हैं चर्चा तो यहां तक है कि अमलोरी परियोजना प्रबंधन की लापरवाही के चलते स्थानीय बेरोजगार युवा रोजगार हेतु दर-दर की ठोकरें खाने विवश हैं।
मामला स्थानीय लोगों के साथ-साथ 470 श्रमिकों का
स्थानीय अमलोरी परियोजना में ओबी का काम कर रही कलिंगा कम्पनी द्वारा स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने में कोई रूचि नहीं दिखाई जा रही है। जिसके चलते स्थानीय बेरोजगार जहां काम की तलाश में भटकने हेतु विवश हैं। वहीं परियोजना में पूर्व में ओबी का काम करने वाली सिक्किल कम्पनी में 4-5 साल तक अपनी सेवा देने वाले श्रमिक को दर-दर की ठोकरें खाने हेतु विवश है। कलिंगा कम्पनी द्वारा इन श्रमिकों को काम देने में परहेज किया जा रहा है। जबकि किसी परियोजना में पूर्व में ओबी का काम करने वाली कम्पनी में कार्यरत श्रमिकों को नई कम्पनी आने पर प्राथमिकता के आधार पर काम देने का प्रावधान है।
परियोजना प्रबंधन की गैर जिम्मेदारी बनी अहम कारण
जानकारों के अनुसार पूर्व में काम करने वाली कम्पनी में कार्यरत श्रमिकों को प्राथमिकता के आधार पर नई कम्पनी में काम दिलाने की जिम्मेदारी परियोजना प्रबंधन की बनती है। लेकिन अमलोरी परियोजना प्रबंधन द्वारा इस मामले में दिये जा रहे गैर जिम्मेदाराना बयान एवं पूर्व में कार्यरत श्रमिकों को कार्य दिलाने में अरूचि इन श्रमिकों को बेरोजगार भटकने हेतु विवश करती है। चर्चा तो यहां तक है कि परियोजना प्रबंधन की गैर जिम्मेदाराना हरकत के चलते ही 470 श्रमिकों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
यूनियन के अध्यक्ष कामरेड संजय नामदेव के द्वारा बताया गया कि जिस तरह कंपनियों में दलाली व पैसे की मांग चलती है कहीं ना कहीं आम जनता इसका शिकार हो रही है खुले आम लागू है दलाली प्रथा
पुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कलिंगा कम्पनी के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कम्पनी में श्रमिकों की भर्ती के लिए दलाली प्रथा लागू की गई है। कम्पनी के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अपने दलाल रखे गये हैं। जो काम की तलाश में आने वाले श्रमिकों से लाखों रूपये की वसूली कर उन्हें काम दिलाते हैं। इस प्रकार मोटी राशि लेकर जहां नये श्रमिकों की नियुक्तियां तेजी से हो रही हैं। वहीं 5 साल तक इसी परियोजना में ओबी का काम करने वाली कम्पनी में अपनी सेवा दे चुके श्रमिक एवं उनके परिजन काम न मिलने के कारण भूखमरी की कगार मे पहुुंचते जा रहे हैं।
ऊर्जांचल विस्थापित कामगार यूनियन ने सम्भाला मोर्चा
सिक्किल कम्पनी में काम कर चुके श्रमिकों एवं स्थानीय बेरोजगार युवाओं को उनका हक दिलाने के लिए मजदूरों एवं विस्थापितों के हक की लड़ाई लडऩे वाले संगठन ऊर्जांचल विस्थापित एवं कामगार यूनियन ने मोर्चा सम्भाल लिया है। यूनियन के अध्यक्ष कामरेड संजय नामदेव ने एसडीएम सिंगरौली को लिखित पत्र देकर आगामी 25 दिसम्बर से विस्थापितों एवं श्रमिकों को उनका हक दिलाने के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने की सूचना दी है। उपखण्ड अधिकारी वैढऩ को लिखे अपने पत्र में यूनियन ने उल्लेख किया है कि एनसीएल की अमलोरी परियोजना में पूर्व में काम करने वाली सिक्किल कम्पनी के स्थान पर नई कम्पनी कलिंगा को कार्य मिला है। मगर सिक्किल के पुराने मजदूरों को उक्त कम्पनी द्वारा नौकरी नहीं दी जा रही है। कलिंगा कम्पनी के द्वारा नये मजदूर बाहर से लाकर स्थानीय मजदूरों को दरकिनार करते हुए कार्य प्रारंभ किया गया है। जिसके चलते संगठन स्थानीय युवाओं एवं पूर्व में कार्यरत श्रमिकों को उनका हक दिलाने के लिए आन्दोलन हेतु विवश है।
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