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SINGRAULI – नियमों को ताक पर रखकर नौगाई में हो रहा है क्लीनिक का संचालन, सरे आम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं तथाकथित डॉक्टर।

जिले के वैढन थाना अंतर्गत नौगई ग्राम पंचायत में एक तथाकथित डॉक्टर के द्वारा सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ा कर अपने घर में क्लीनिक खोलकर लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है और अप्रशिक्षित स्टाफ के द्वारा इंजेक्शन एवं दूसरे इलाज किए जा रहे हैं।

सिंगरौली : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में राज्य को को लोक स्वास्थ्य के रक्षण का कार्य सौंपा गया है जिसके पालन में 2010 में भारत सरकार के द्वारा रूजोउपचार स्थापना एवं पंजीकरर् अधिनियम 2010 लाए गया जिसके तहत किसी भी रूप में किसी भी व्यक्ति के द्वारा चाहे वह सरकारी हो या निजी चाहे वह व्यक्तिगत हो या समूह में वह किसी भी प्रकार से बीमारियों का संरक्षण इलाज, प्रसुतिगृह ,औषधालय क्लीनिक ,सैनिटोरियम ,नर्सिंग होम या कोई भी संस्था चाहे किसी भी नाम से जो किसी भी मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति में संचालित किया जा रहा हो उसका पंजीकरण इस अधिनियम के दायरे में लाए गया इसी के साथ न्यूनतम इलाज प्रोटोकॉल एवं मानक इलाज प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया । इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य यह है कि क्लीनिक एवं नर्सिंग होम खोलने से पहले क्या प्रोटोकॉल पालन किए जाने चाहिए जिससे कि लोगों की स्वास्थ्य की रक्षा हो सके ।

कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित की जाती है पंजीकरण कमेटी

इस अधिनियम के प्रावधान के तहत बकायदा नेशनल मेडिकल काउंसिल, स्टेट मेडिकल काउंसिल के गठन का प्रावधान किया गया है और जिला स्तर पर भी जिला रूजोउपचार पंजीयन समिति का भी गठन किया गया है जिसके चेयरमैन जिला कलेक्टर होते हैं और जिसके संयोजक जिला चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी होते हैं तीन अन्य सदस्य होते हैं। जिनके द्वारा जिले में संचालित सभी क्लिनिक का बकाया पंजीकरण किया जाता है और उनके कार्यालय में जितने भी जिले में पंजीकृत क्लीनिक है उसकी जानकारी होती है और एक रजिस्टर मेंटेन किया जाता है। इस अधिनियम के तहत संबंधित क्लीनिक और नर्सिंग होम के द्वारा भी एक रजिस्टर मेंटेन किया जाना चाहिए और जब भी सरकार के द्वारा उसकी जानकारी मांगी जाए तब उन्हें सरकार को प्रस्तुत करना आवश्यक है। इस अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है की परमानेंट लाइसेंस क्लिनिको को जारी नहीं किया जाएगा पहले 2 साल का प्रोबेशनरी लाइसेंस जारी किया जाएगा और उस 2 साल के प्रोबेशनरी पीरियड में अगर क्लिनिक के द्वारा पूरे नियम कानून का अच्छे से पालन किया जाता है तभी परमानेंट लाइसेंस जारी किया जाएगा यह परमानेंट लाइसेंस भी हमेशा के लिए नहीं होता है सिर्फ 5 साल के लिए होता है 5 साल के बाद इसे पुनः रिन्यू करवाना होता है।

नौगाइ में स्थित तथाकथित डॉक्टर सरेआम कर रहा है इन नियम कानूनों का उल्लंघन।

सिंगरौली जिले के बैढ़न थाना अंतर्गत नौगाई ग्राम में स्थित एक तथाकथित डॉक्टर ने इन सभी नियमों की धज्जियां उड़ा कर रख दी है। इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि नर्सिंग होम हो या क्लीनिक यदि वहां पर एक डॉक्टर के द्वारा इलाज किया जा रहा है तो बकायदा एक ऐसी जगह होनी चाहिए उस क्लीनिक में और सभी सुविधाओं उनकी फीस की लिस्ट एक ऐसी जगह पर चस्पा की जाए जहां पर सभी लोग देख सके नौगईं में स्थित इस तथाकथित डॉक्टर ने वह भी नहीं किया है। ठीक इसी के साथ इस अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि। क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर भी एक ऐसी जगह पर होना चाहिए जहां पर सभी लोग उसे देख सके इस डॉक्टर ने वह भी नहीं किया है। सूत्रों की माने तो यह बतया जा रहा है कि नाबालिक लड़के के द्वारा लोगों को इंजेक्शन ऊपर से लगाया जाता है। डॉक्टर के पास इलाज करवाने के बाद अधिकांश लोगों की तबीयत ठीक होने की वजह खराब हो जाती है। तमाम लोगों की हुई भी है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इतने जागरूक नहीं होते कि इन सब चीजों के खिलाफ आवाज उठा सकें।

दवाइयां रखने का एक नियम लेकिन चौकी पर फैलाई गई है दवाइयां।

इसके अतिरिक्त औषधीय भंडारण अधिनियम के तहत जो भी दवाइयां रखी जाती है उन दवाइयों को रखने का एक नियम होता है ऐसे ही नहीं आप किसी दवाई को उठाकर फेंक देंगे या जहां मन करे वहां पर रख देंगे उन्हें रखने का एक तरीका होता है और किस मरीज को कौन सी दवाई दी जाए इसे देने का भी एक तरीका होता है लेकिन डॉक्टर साहब ने तो सब कुछ भुला दिया। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि लंबे समय से यह डॉक्टर यहां पर काम कर रहे हैं और यही नहीं सूत्रों के द्वारा यभी बताया गया कि भोले भाले मरीजों की छोटी-मोटी बीमारियों का भी मोटी फीस लेकर के अकूत संपत्ति इकट्ठा कर ली है । नेशनल मेडिकल काउंसिल के द्वारा प्रत्येक बीमारी के इलाज के लिए एक सीमा तय की जाती है और की भी गई है लेकिन यह किस लिमिट के तहत लोगों से खींच लेते हैं या क्या इनका क्राइटेरिया है यह समझ से परे है।

सिविल एवं क्रिमिनल दोनों तरह के मामलों में हो सकती है कार्यवाही।

ऐसे मामलों में यह जरूरी नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ही कार्रवाई की जाए पुलिस विभाग के द्वारा भी कार्यवाही की जा सकती है और इसके प्रावधान भी हैं इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह एक टीम गठित करके जिले में और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की हर गली में फैले ऐसी क्लीनिक के ऊपर कार्यवाही करें जिससे कि लोगों की जान बच सकें क्योंकि जिस तरह से इलाज करते हैं यह लोगों की जीवन के लिए खतरा है इन कथाकथित डॉक्टरों के इलाज से कई लोगों की तबीयत ठीक होने के बजाय और भी बिगड़ जाती है लेकिन वह रिकॉर्ड में नहीं आ पाता है क्योंकि लोग इतने जागरूक नहीं है और खासकर गांव के लोग ना तो इतनी जागरूक हैं और ना ही वह किसी का विरोध करके जोखिम उठाना चाहते हैं।

हालांकी नौगई स्थित कथाकथित डॉक्टर के ऊपर सिंगरौली जिले के सीएमएचओ नेध्यानाकर्षण किया है और कुछ जुझारू पत्रकारों नेही उनके संज्ञान में लाया है, । जिसमें उन्होंने इस डॉक्टर के ऊपर जांच करके कार्यवाही करने की बात कही है देखने वाली बात यह है कि उनके द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है क्योंकि इसमें ₹500000 तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है इसके अलावा क्रिमिनल प्रोसिडिंग भी की जा सकती है यानी कि आपराधिक प्रकरण भी कायम करवाया जा सकता है।

मौका ए वारदात पर नौगई स्थित तथाकथित डॉक्टर के द्वारा इलाज करते हुए वीडियो वायरस हुआ है जहां,

सिंगरौली जिले के सीएमएचओ द्वारा दी गई बाइट

जहां पर स्वास्थ्य अधिकारी सीएमएचओ एनके जैन के द्वारा बताया गया कि जांच के दौरान अगर अवैध तरीके से दवा कर रहे हैं तो इनके ऊपर कड़ी कार्रवाई होगी।

लेकिन बड़ी सवाल यह भी उठ रही है कि क्या सीएमएचओ एनके जैन के द्वारा इन डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही करने में सफल होंगे या फिर लेपा पोती कर मामले को रफा-दफा करने में लग जाएंगे क्योंकि ऐसे कई मामले सामने आए जिस पर अभी तक सीएमएचओ साहब की जांच चल रही है अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।

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