सिंगरौली | विशेष रिपोर्ट कोतवाली वैढन थाना क्षेत्र अंतर्गत बलियरी के राखड़ डैम के पास, रेलवे लाइन से सटी शासकीय भूमि पर संचालित एक कबाड़ दुकान आज पूरे इलाके में भय, सवाल और संदेह का केंद्र बन चुकी है। दुकान संचालक करीमुल्ला के नाम से जुड़ा यह ठिकाना केवल अवैध कब्जे का मामला नहीं, बल्कि औद्योगिक चोरी, राखड़ पाइपलाइन कटिंग, संगठित गिरोह और कथित संरक्षण की परतें खोलता है। सबसे बड़ा सवाल: शासकीय ज़मीन पर कबाड़ दुकान—परमिशन किस नियम से? कानून स्पष्ट है कि शासकीय भूमि पर किसी भी प्रकार की निजी व्यावसायिक गतिविधि बिना वैध आवंटन या लीज के अवैध मानी जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि करीमुल्ला को किस आदेश, किस विभाग और किस नियम के तहत यह संचालन अनुमति मिली। स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह दुकान अवैध कब्जे पर खड़ी है, फिर भी वर्षों से निर्बाध रूप से संचालित हो रही है। क्या यह प्रशासनिक चूक है या किसी प्रकार का संरक्षण? चोरी का बढ़ता ग्राफ: वीरान कंपनियाँ, कटती पाइपलाइन कबाड़ दुकान खुलने के बाद से बलियरी औद्योगिक क्षेत्र में चोरी की घटनाओं में तेज़ी से इजाफा हुआ है। वीरान पड़ी औद्योगिक इकाइयों से स्क्रैप, केबल और इलेक्ट्रिक पोल तक सुरक्षित नहीं हैं। सबसे गंभीर मामला राखड़ पाइपलाइन का है, जिसे बार-बार काटा जा रहा है। यह पाइपलाइन क्षेत्र की ऊर्जा और औद्योगिक सुरक्षा से सीधे जुड़ी है, लेकिन इसके बावजूद न कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही रोकथाम के प्रभावी प्रयास दिखे। CISF से भिड़ंत और फायरिंग—फिर भी फाइल दबी? स्थानीय लोगों और विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि कुछ दिन पूर्व राखड़ डैम क्षेत्र में पाइपलाइन काटते समय CISF की गश्त टीम मौके पर पहुँची थी। आरोप है कि कबाड़ी गिरोह के लोगों ने जवानों पर पथराव किया और इसी दौरान फायरिंग की घटना भी हुई। हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन इतनी गंभीर वारदात के बावजूद मामले को दबा दिया गया। सवाल यह है कि आखिर यह सब किसके दबाव में हुआ? सलीम–याकूब–करीमुल्ला: रोल क्लैरिटी या संगठित साजिश? सूत्रों के अनुसार इस पूरे नेटवर्क में स्पष्ट भूमिका बंटी हुई है। करीमुल्ला दिन-रात बलियरी इंडस्ट्रियल एरिया और राखड़ डैम क्षेत्र में रेकी करता है। सलीम कबाड़ दुकान पर बैठकर चोरी की योजना बनाता है और चोरी किए गए स्क्रैप की हैंडलिंग करता है। वहीं याकूब को इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, जो किसी भी स्थिति के बिगड़ने पर सामने आता है और स्क्रैप को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी निभाता है। बताया जाता है कि रात के अंधेरे में NTPC या अन्य औद्योगिक परिसरों से चोरी किया गया स्क्रैप सीधे इसी कबाड़ दुकान पर पहुँचता है, जहाँ से उसे बाहर खपाया जाता है। इलेक्ट्रिक पोल चोरी की कड़ी: शिवपहरी–हीरवाह से बलियरी तक विश्वसनीय जानकारी के अनुसार हाल ही में शिवपहरी और हीरवाह क्षेत्र से इलेक्ट्रिक पोल चोरी किए गए। इन पोलों को काटने का काम अर्जुन नामक कबाड़ी द्वारा किया गया, जिसके बाद सभी कटे हुए पोल करीमुल्ला की कबाड़ दुकान पर लाए गए और फिर उन्हें अन्यत्र बेच दिया गया। यह घटना इस नेटवर्क की पहुँच और निर्भीकता को साफ तौर पर दर्शाती है। विवादित इतिहास के बावजूद लाइसेंस कैसे? करीमुल्ला के खिलाफ विभिन्न धाराओं में पहले से कई मुकदमों की चर्चा आम है। ऐसे में यह सवाल और गहराता है कि विवादित पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को कबाड़ दुकान संचालन की अनुमति कैसे मिल सकती है। यदि कोई वैध अनुमति नहीं है, तो अब तक सीलिंग या हटाने की कार्रवाई क्यों नहीं हुई? प्रशासन की चुप्पी = अपराधियों का हौसला स्थानीय रहवासी सवाल उठा रहे हैं कि जब शासकीय ज़मीन, राष्ट्रीय औद्योगिक सुरक्षा और CISF पर हमले जैसे गंभीर मुद्दे सामने हैं, तब भी कोतवाली से लेकर जिला प्रशासन तक सन्नाटा क्यों है। क्या यह चुप्पी किसी बड़े गठजोड़ की ओर इशारा करती है? मांग शासकीय भूमि पर संचालित कबाड़ दुकान की तत्काल सीलिंग/हटाने की कार्रवाई। कथित फायरिंग और CISF पर हमले की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच। सलीम–याकूब–करीमुल्ला नेटवर्क की आर्थिक और कॉल-डिटेल जांच। चोरी की पाइपलाइन और स्क्रैप की रिकवरी के साथ सख्त दंड। सवाल वही है—कानून सबके लिए बराबर है या कुछ नामों के लिए अलग? जब तक जवाब नहीं मिलते, बलियरी का यह कबाड़ साम्राज्य कानून के माथे पर बड़ा सवालिया निशान बना रहेगा।