SINGRAULI NEWS:त्रिमुला स्पंज आयरन इंडस्ट्री पर प्रदूषण बोर्ड की कड़ी कार्यवाही वायु अधिनियम उल्लंघन पर 15 दिन में जवाब नहीं तो प्लांट बंद
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गोंदवली स्थित त्रिमुला स्पंज आयरन इंडस्ट्री को गंभीर पर्यावरणीय अनियमितताओं के कारण क्लोजर नोटिस जारी किया है।

बोर्ड ने स्पष्ट कहा है कि कंपनी को 15 दिनों की अवधि में अपने पक्ष में संतोषजनक विवरण देना होगा, अन्यथा औद्योगिक उत्पादन पर तत्काल रोक लगाई जाएगी और बिजली आपूर्ति भी निलंबित की जा सकती है।
बोर्ड के निरीक्षण में अनेक गंभीर खामियाँ पाई गईं। उद्योग परिसर में हाउसकीपिंग की स्थिति बेहद खराब मिली, कई स्थानों पर धूल और औद्योगिक कचरे की मोटी परत फैली हुई पाई गई। परिसर में स्थापित शेड की क्षमता अपर्याप्त है, जिससे बड़ी मात्रा में सामग्री खुले में रखी जा रही है और हवा के संपर्क में आने से धूल लगातार फैल रही है।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि उद्योग में लगभग 12,000 मीट्रिक टन धूल भरा कचरा खुले में जमा है, जो हवा में उड़कर आसपास के गांवों में प्रदूषण फैला रहा है। कई जगहों पर डस्ट कलेक्शन सिस्टम काम नहीं कर रहे हैं। हॉट-मिक्सर और स्मेल्टिंग क्षेत्रों में अत्यधिक धूल व प्रदूषण का स्तर देखा गया। ऑटोमेटिक रोड स्वीपिंग मशीन होने के बावजूद श्रमिकों द्वारा खुले में मैन्युअल झाड़ू लगाया जा रहा है, जिससे प्रदूषण और बढ़ रहा है।
इसके अलावा, उद्योग के कोल हैंडलिंग प्लांट में समुचित नियंत्रण उपाय नहीं मिले, जिससे लगातार धूल उड़ रही है। कई जगहों पर बाउंड्रीवाल टूटी हुई या पूरी तरह गायब मिली, जिसके कारण उद्योग परिसर का धूल प्रदूषण सीधे गांवों तक पहुंच रहा है। ढुलाई करने वाले ट्रकों पर भी आवरण (कवर) नहीं पाया गया जिससे सड़क मार्ग पर धूल फैल रही है।
उद्योग के अंदर और बाहर कई स्थानों पर स्पंज आयरन यूनिट से धुआँ और धूल का रिसाव पाया गया। स्टैक मॉनिटरिंग सिस्टम और प्रदूषण नियंत्रण उपकरण पूरी तरह संतोषजनक नहीं मिले। कोल यार्ड, स्क्रैप यार्ड, लोहे के ढेर और अन्य सामग्री वाले स्थानों पर कोई नियंत्रित व्यवस्था नहीं थी, जिससे प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है।
नोटिस में बोर्ड ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31(ए) के अंतर्गत उद्योग पर औद्योगिक संचालन बंद करने की कार्रवाई की जा सकती है। इसलिए कंपनी को 15 दिन के भीतर सभी सुधारात्मक कदमों और वर्तमान प्रणाली के बारे में स्पष्ट जवाब देना अनिवार्य है।
गोंदवली, रमपुरवा, समदा, दादर, पड़री, बस्ताली और कसर जैसे गांवों के लोग वर्षों से इस फैक्ट्री से फैल रहे प्रदूषण का विरोध करते रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि धूल और धुएं ने उनके खेतों की उपज को प्रभावित किया है, कई झाड़ियां और पेड़ नष्ट हो चुके हैं और लोगों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ा है।
अब सभी की नजर इस पर है कि त्रिमुला इंडस्ट्री प्रबंधन अगले 15 दिनों में क्या जवाब देता है और बोर्ड की शर्तों के अनुपालन के लिए कौन-से कदम उठाता है।
हम इस मामले की हर अपडेट आपको देते रहेंगे।












