सीधी

सीधी – बिजली कटौती को लेकर लापरवाह बने विभागीय अधिकारी,ग्रामीण क्षेत्रों में रात में बिजली न रहने से जहरीले जीव-जंतुओं का बढ़ा खतरा

सीधी: जिले में बिजली कटौती के चले रहे अघोषित दौर में विभागीय अधिकारी पूरी तरह से लापरवाह नजर आ रहे हैं। बिजली की अघोषित कटौती का दौर बारिश होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में और भी ज्यादा बढ़ गया है। बारिश के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में रात में बिजली न रहने से जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ गया है। जिसके कारण आम जनता का आक्रोश बढ़ रहा है। ऐसा आभास होता है कि विद्युत विभाग बिजली की समस्या को दूर करने की जरूरत नहीं समझ रहा है। शहरी क्षेत्रों में बिजली कटौती कम एवं अधिक होती रहती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती का ग्राफ काफी ज्यादा बना हुआ है। सुबह से बिजली गुल होने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो कि दिन में सबसे ज्यादा रहता है। शाम ढलने के बाद बिजली कटौती कम हो जाती है लेकिन कई बार पूरी रात भी बिजली के दर्शन नहीं होते। चर्चा के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ किसानों ने बताया कि बिजली की उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों काफी कम है। शहरी क्षेत्र में अवश्य बिजली ज्यादा मिल रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली काफी कम दी जा रही है। किसानों को खरीफ सीजन में खेती-किसानी के कार्यों के लिए आरंभ से परेशान होना पड़ रहा है। अच्छी बारिश काफी विलंब में होने के कारण काफी संख्या में किसान धान के स्थान पर अन्य फसलों की बोनी कर चुके हैं खासतौर से अरहर, राई, रावा की बोनी का कार्य आरंभ में किया गया। अब दो दिनों से बारिश शुरू होने के कारण किसान धान का रोपा लगाने का कार्य काफी तेजी के साथ कर रहे हैं। खेती-किसानी के कार्य में भले ही बिजली की खपत इन दिनों कम हो गई हो लेकिन बिजली न रहने से लोगों को मच्छरों के प्रकोप से ज्यादा परेशानी हो रही है। शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी मच्छरों का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में मच्छरों की जिस तरह से भरमार हो रही है उसके कारण मलेरिया का प्रकोप भी आने वाले दिनों में तेजी के साथ फैलने की संभावना बनी हुई ह

अबूझ बनी बिजली की कटौती 

विद्युत वितरण केंद्र के प्रभारी कनिष्ट यंत्रियों का हाल यह है कि यदि बिजली की समस्या कहीं सामने आती है उस दौरान लोग सूचना देना चाहें तो उनके द्वारा कॉल तक रिसीव नहीं किया जाता। कुछ कनिष्ट यंत्री ऐसे भी हैं जो कि रात के समय स्वत: अपने मुख्यालय में नहंी रहते। उनका अप-डाउन जिला मुख्यालय से होता है। इसी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की समस्या सबसे ज्यादा बनी हुई है। कनिष्ट यंत्रियों द्वारा अपने क्षेत्र में बिजली की समस्या न तो सुनने की जरूरत समझी जाती है और न ही उसका निराकरण कराया जाता है। विद्युत वितरण कंपनी द्वारा जब से बिजली संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए कंपनी मुख्यालय जबलपुर में टोल फ्री नंबर की व्यवस्था बना दी गई है कनिष्ट यंत्री और भी गैर जिम्मेदार हो गए हैं। उनके द्वारा यही कहा जाता है कि जब बिजली संबंधित कोई दिक्कत है तो सीधे विद्युत वितरण कंपनी के टोल फ्री नंबर पर सूचना दें और अपनी शिकायत रजिस्टर्ड कराएं। कंपनी मुख्यालय के टोल फ्री नंबर पर ग्रामीण क्षेत्रों की शिकायतें यदि दर्ज भी कराई जाती हैं तो उसका निराकरण 24 घंटे बाद ही होता है। उस दौरान टोल फ्री नंबर पर संपर्क करने पर गोलमाल जवाब दिया जाता है। शहरी क्षेत्रों को छोंड़ दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली संबंधित शिकायतों का निराकरण करनें में विद्युत कंपनी का अमला पूरी तरह से लापरवाह है। विभागीय अधिकारी स्वत: उपभोक्ताओं की समस्या का कोई निराकरण नहीं करते। बल्कि गुमराह करके अपने कार्यालय का चक्कर कटवाया जाता है। विद्युत वितरण कंपनी की सेवाएं सीधी जिले की ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी तरह से पटरी से उतरी हुई हैं।

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