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कैश बढ़ा या डिजिटल ट्रांजैक्शन? क्या कहते हैं SBI और RBI के अलग-अलग दावे डिटेल -इंडिया टीवी एमपी तक-

कैश बढ़ा या डिजिटल ट्रांजैक्शन? क्या कहते हैं SBI और RBI के अलग-अलग दावे डिटेल -इंडिया टीवी एमपी तक-

इंडिया टीवी एमपी तक न्यूज़ नेटवर्क – नोटबंदी के 6 साल पूरे हो गए हैं. अब इसके फायदे और नुकसान पर बहस जारी है. सरकार का मत है कि नोटबंदी ने देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी और कैश पर निर्भरता को कम किया. वही विपक्ष का आरोप है कि नोटबंदी कालेधन को रोकने और कैश कम करने के लिए की गई थी, जबकि ऐसा नहीं हो पाया. इस संदर्भ में सरकार की दो संस्थाओं की रिपोर्ट गौरतलब है. नोटबंदी, कैश सर्कुलेशन और डिजिटल इकोनॉमी को लेकर देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट दी है. दोनों की रिपोर्ट में अंतर सा दिखता है.

रिजर्व बैंक ने नोटबंदी और करंसी सर्कुलेशन पर हाल में अपनी रिपोर्ट जारी की है. रिजर्व बैंक की तरफ से पखवाड़े के आधार पर हाल में जारी करेंसी सर्कुलेशन आंकड़ों के अनुसार, इस साल 21 अक्टूबर तक लोगों के बीच चलन में मौजूद करंसी का स्तर बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह आंकड़ा चार नवंबर, 2016 को समाप्त पखवाड़े में 17.7 लाख करोड़ रुपये था. इस तरह चलन में मौजूद करेंसी का स्तर नोटबंदी से अब तक 71 प्रतिशत बढ़ा.

क्या कहती है RBI की रिपोर्ट
आरबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि चार नवंबर को लोगों के बीच 17.7 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा चलन में थी. यह बात 8 नवंबर 2016 से 4 दिन पहले की है जब देश में नोटबंदी लगाई गई. नोटबंदी में भारत की सबसे बड़ी नोट करंसी 500 और 1,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर किया गया. इसके बावजूद अगले छह साल में करंसी का सर्कुलेशन 71 परसेंट तक बढ़ गया और लोगों के बीच 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक की मुद्रा आ गई.

बैंकों तक गए, लेकिन उसके बदले तेजी से नए नोट भी आ गए. इन नए नोटों को लोगों ने दबाना शुरू कर दिया. यही वजह है कि 2000 रुपये के नए नोट पर अब असमंसज की स्थिति पैदा हो गई है कि आगे क्या होगा.

आरबीआई की रिपोर्ट इस बात पर फोकस करती है कि सिस्टम में कैश की मात्रा कितनी बढ़ी है. दूसरी ओर, स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट बताती है कि सिस्टम में डिजिटल पेमेंट कितना बढ़ा है. एसबीआई की रिपोर्ट यह भी बताती है कि सिस्टम में ‘कैश इन करंसी’ यानी कि सीआईसी की मात्रा कितनी घटी है. आरबीआई की रिपोर्ट जहां पूरे छह साल में कैश सर्कुलेशन के बढ़त की बात करती है, तो एसबीआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले 20 साल में पहली बार इस दफे दिवाली पर करंसी सर्कुलेशन में कमी आई है.

क्या है SBI की रिपोर्ट
स्टेट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, पेमेंट सिस्टम में सीआईसी की हिस्सेदारी 2015-16 में 88 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 20 प्रतिशत रह गई. इसके 2026-27 तक घटकर 11.15 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है. इसी तरह डिजिटल लेनदेन 2015-16 में 11.26 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 80.4 प्रतिशत हो गया. इसके 2026-27 तक बढ़कर 88 प्रतिशत होने की उम्मीद है.

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