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SINGRAULI – शासन-प्रशासन बने बैठे अनजान जिले में बढ़ती जा रही हैं चोरियां जिले में लगातार बढ़ रहा कबाड़ का कारोबार

सिंगरौली- जिले में आए दिन चोरी को अंजाम दे रहे चोर जहां एक तरफ सोशल मीडिया में काफी सीसीटीवी वीडियो वायरल हुआ है जहां पर नशा के लिए छोटे बच्चे कब आओगे दुकान में कार्य कर रहे हैं वह चोरी का सामान भी बेचने का कार्य कर रहे हैं वही शहर में एक धंधा ऐसा हैं जो चोरों का
हौसला बढ़ाया हुआ है मजे की बात
तो यह है कि कारोबार में बेहिसाब
कमाई के बाद भी सरकारी तंत्र कोई
दखल नहीं देता मामला जिले में
अवैध तरीके से चल रही कबाड़
दुकानों का है बताया जाता है कि बगैर अनुमति के चल
रही इन दुकानों पर सरकारी तंत्र का
कोई नियंत्रण नहीं रहा गया है क्षेत्र में
संचालित कबाड़ की दुकानें लाखों
रुपए कमा रही हैं इन दुकानों में कबाड़
खरीद बिक्री की कोई रसीद नहीं होती
है और ना ही कोई रिकॉर्ड रहता है
चोर कहीं से भी सामान चोरी कर लाते
हैं और ऐसी दुकान में आसानी से
खफा देते हैं इससे चोरों का हौसला
बढ़ जाता है प्रशासनिक ढिलाई के
चलते इस व्यवसाय में लोहे के समान
घरेलू उपयोग के समान दलालों के
माध्यम से खरीद कर लाखों कमा रहे
हैं चोरी का ज्यादातर सामान कहां
बेचा जाता है सच्चाई यह भी है कि
जिन क्षेत्रों में कबाड़ी की दुकान है
वहां चोरियों का ग्राफ भी बड़ा है क्षेत्र
में संचालित कबाड़ की दुकानें चोरी
का ज्यादातर माल आसानी से खापाया जाता है बावजूद इसके पुलिस
जांच नहीं करती है क्षेत्र में गैर कानूनी
तरीके से चल रही दुकाने विभिन्न
अपराधों को पनपने का मौका दे रही
है वर्तमान में यह कबाड़ की दुकान
चोरों के लिए मददगार साबित हो रही
है चोरी का ज्यादातर सामान इन
दुकानों में चोरी छुपे बेचा जाता है
वर्तमान में लोग किसी भी समान के
लिए पहले कबाड़ के दुकानों में संपर्क
करते हैं क्योंकि यहां पर सेकंड हैंड
सामान कम कीमत पर मिल जाती है
जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान तांबा व
अल्मुनियम के सामान आसानी से
मिल जाते हैं यह सारे सामान कहां से
इन दुकानों में आते हैं यह लोग जानने
की कोशिश नहीं करते हैं और ना ही
पुलिस विभाग इसकी जांच करती है
इसके कारण बेखौफ होकर कबाड़ी
दुकान चला रहे हैं कबाड़ वाले दिन
भर नगर व गांव में घूम कर कबाड़
खरीदते हैं इनमें कई ईमानदार होते हैं
कुछ ऐसे भी होते हैं जो कबाड़
खरीदने के बहाने दिन में इलाके का
जायजा लेते हैं और रात के अंधेरे में
चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं
कबाड़ का काम करने वाले ना सिर्फ
शहरी क्षेत्र में बल्कि ग्रामीण इलाकों में
भी घूम कर कबाड़ खरीदते हैं इस बात
को खुद पुलिस भी झुठला
नहीं सकते बावजूद इसके पुलिस

विभाग सतर्क रहने के बजाय
लापरवाही बरत रही है कबाड़ के
व्यवसाय में लगे लोगों को कोई
पहचान वाले रिपीटेशन पुलिस विभाग
के पास नहीं है
बाल श्रम का उपयोग
कबाड़ का कारोबार करने वाले बाल
मजदूरी को भी बढ़ावा दे रहे हैं कई
क्षेत्र के गांवों में जहां गरीब वर्ग के
बच्चे गली मोहल्ले में घूम कर कबाड़ को विन कर दिन भर बोरी लेकर प्लास्टिक व लोहे जैसे कई अन्य चीजों को दिन में एकत्रित कर कबाड़ के दुकान में बेचने का कार्य कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सूत्रों की माने तो कबाड़ के दुकानदारों के द्वारा इन्हें पैसे की लालच देकर चोरी डकैती लूटपाट जैसे कार्यों को अंजाम दिलाने का कार्य करते हैं यह कबाड़ के मालीक वही कबाड़ दुकानों में भेजते हैं तब कबाड़ मालिकों के
द्वारा ऐसे बच्चों का शोषण भी किया
जाता है ताकि इनका व्यवसाय फल
फूल सके ऐसे बच्चों के मां-बाप भी
कवाड़ और कचरा चुनने के लिए
भेज देते हैं जो निश्चित तौर पर समाज
के साथ-साथ प्रशासन के लिए भी
चिंता की बात है।
देखना यह है कि क्या शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधि इन नाबालिक बच्चों के लिए क्या कुछ करती है और अवैध रूप से चल रहे हैं कबाड़ दुकानों पर किस प्रकार से अंकुर लग सकेगा।

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