डीजीपी कैलाश मकवाना और रीवा आईजी गौरव राजपूत की सख्ती का असर — कोरेक्स तस्कर रीवा संभाग छोड़कर भागे
रीवा संभाग में नशे के अवैध कारोबार के खिलाफ चल रही पुलिस कार्रवाई अब ऐतिहासिक नतीजे दे रही है।

रीवा संभाग में नशे के अवैध कारोबार के खिलाफ चल रही पुलिस कार्रवाई अब ऐतिहासिक नतीजे दे रही है। पूरे प्रदेश में डीजीपी कैलाश मकवाना के नेतृत्व में चल रहे नशा मुक्ति अभियान और रीवा ज़ोन के आईजी गौरव सिंह राजपूत की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने कोरेक्स माफिया की जड़ें हिला दी हैं। कोडीन फॉस्फेट कफ सिरप जिसका प्रिंट रेट ₹130 प्रति शीशी है, उसकी लगातार कमी और पुलिस की सख्ती के कारण ब्लैक मार्केट में कीमत ₹900 से ₹1100 तक पहुँच गई है। पिछले 26 वर्षों में पहली बार नशे के इस सिरप की उपलब्धता इतनी कम हुई है कि नशे के आदी लोगों में हड़कंप मचा है। पाँच साल पहले तक यह सिरप ब्लैक मार्केट में ₹300 प्रति सीसी के आसपास बेची जाती थी, लेकिन लगातार हो रही पुलिस कार्रवाई के बाद अब इसकी उपलब्धता लगभग खत्म हो चुकी है।ऑनरेक्स’ नाम से मिलने वाली इस कफ सिरप की आसमान छूती कीमतें और कठिन उपलब्धता ने इसे आम उपयोगकर्ताओं की पहुँच से बहुत दूर कर दिया है। इतिहास में पहली बार नशे की बड़ी खेप पकड़े जाने की खबरें लगभग थम गई हैं। तस्कर रीवा संभाग से पलायन कर कालिंजर की ओर शरण लेने को मजबूर हो रहे हैं। पुलिस की कड़ी निगरानी, नेटवर्क पर लगातार प्रहार और सप्लाई चेन को तोड़ने की रणनीति ने नशे के इस अवैध कारोबार को बुरी तरह चरमा दिया है पुलिस कार्रवाई के कारण नशे के धंधे की कमर टूट चुकी है और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह अभियान प्रदेश स्तर पर और अधिक प्रभावी परिणाम दे सकता है।











