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होम लोन लेने का बेस्ट इवेस्टमेंट अपना घर खरीदे या किराए का घर प्रॉपर्टी के लिए विशेष फायदे – जानिए विस्तार में

एक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा सोने का बंगला चंदन का जंगला एक बंगला…” केदार शर्मा का लिखा और लीजेंडरी के. एल. सहगल साहब का गाया यह गीत 1937 में आया था और आज भी कानों में पड़ जाए तो एक हूक सी उठती है। हाथ में पहली कमाई आते ही वो पुराना सपना दिल में कुलबुलाने लगता है कि एक दिन अपना भी एक घर होगा।

 

 

 

ग्लोबलाइजेशन ने दूर आसमान के इस सपने को उठाकर हमारी जिंदगी की हकीकत बना दिया। घर खरीदने लायक पैसा हाथ में नहीं है, कोई बात नहीं। बैंक है न। घर का 85-90 फीसदी पैसा बैंक देगा और बदले में आपसे अगले बीस सालों तक ईएमआई लेगा।

घर खरीदना आसान होने के साथ अब यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या घर सचमुच में खरीदने की जरूरत है। क्या किराए के घर में रहना ज्यादा फायदे का सौदा नहीं है। दोनों ही विकल्प सामने हों तो कौन सा चुनने में ज्यादा समझदारी होगी।

जाने-माने अमेरिकी लेखक, निवेशक और फायनेंशियल एक्सपर्ट रमित सेठी कहते हैं कि 2 करोड़ के घर का किराया अगर 30 हजार ही है तो लोन लेकर हर महीने का 60-70 हजार ईएमआई क्यों देना?

आइए, इस सवाल के सभी पहलुओं की पड़ताल करने की कोशिश करते हैं।

घर सिर्फ पैसों का हिसाब नहीं, दिल की किताब भी है

घर खरीदना केवल रुपयों के जोड़-घटाव का मामला नहीं है। इसके साथ जज्बात भी जुड़े होते हैं। आप ‘अपने घर’ में अपना एक कोना चाहते हैं। जहां आप अपनी मर्जी से दीवार पर कोई पेंटिंग बनवा सकें या फिर एक छोटी सी बुक शेल्फ लगा सकें।
अपने घर से भावनात्मक जुड़ाव होता है। साथ ही आप मकान मालिक के नियमों और पहरेदारी से दूर अपनी आजादी चाहते हैं।

लेकिन यह भी ठीक नहीं है कि आप नौकरी के शुरुआती सालों में ही होम लोन लेकर आने वाले सालों के लिए कर्ज के खूंटे में बंध जाएं। देखा जाए तो किराए के मकान और खुद के घर के अपने नफा-नुकसान हैं। आइए इसे समझते हैं।

 

किराए के घर में रहने के फायदे और नुकसान

रमित सेठी कहते हैं कि घर खरीदना एक अच्छा फैसला होने के साथ-साथ एक बहुत ही बुरा फैसला भी हो सकता है। लोग समाज के दबाव में एक स्टेटस दिखाने के लिए भी घर लेते हैं। उन्हें लगता है कि यह एक अच्छा निवेश है, लेकिन वह महंगाई, ब्याज दर और उसकी जगह कहीं और इन्वेस्टमेंट करने के फायदों को भूल जाते हैं।

किराए के घर में रहने के लिए एक तर्क यह दिया जाता है कि अगर आप 1-2 करोड़ के घर में 20-30 हजार रुपए महीना किराया दे कर रह सकते हैं तो लोन लेकर घर क्यों खरीदें? लेखक और उद्यमी अंकुर वारिकू कहते हैं कि 4

होम लोन का गणित

अब इसे पूरी तरह समझने के लिए थोड़ा होम लोन के गणित को समझते हैं। मान लीजिए आप एक करोड़ का घर खरीदना चाहते हैं तो आपको पूरे पैसे होम लोन में नहीं मिलेंगे। अगर आप करीब 80 लाख रुपए का होम लोन ले भी लें फिर बाकी 20 लाख? बाकी 20 लाख के लिए आपको ‘डाउन पेमेंट’ नामक दैत्य से लड़ना होगा।

इन एक्सपर्ट्स के मुताबिक होम लोन के बावजूद भी घर खरीदने के लिए आपको एक बड़ी पूंजी तो इकट्ठी करनी होगी। इसके अलावा आप आने वाले 15-20 सालों के लिए एक जगह और एक किश्त में बंध जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ किराए के घर में रहने के लिए आपको इतनी बड़ी रकम की एक साथ जरूरत नहीं पड़ती। आप 60-70 हजार की किश्त चुकाने के बजाय 20-30 हजार का किराया दे कर उसी कीमत के घर में आराम से रह सकते हैं।

इसके अलावा अपने घर का एक बड़ा नुकसान ये है कि घर की कोई न कोई टोंटी आपके बेस्टफ्रेंड के दिल की तरह टूटी ही रहती है या फिर कभी दीवारों का पेंट गिरता रहता है। कुल मिलाकर घर का मेन्टेनेंस अपने आप में एक बड़ा सिरदर्द है और इसका खर्च अलग।

घर के मेन्टेनेंस का खर्च साल का एक टका यानी करीब एक लाख रुपए तक हो सकता है। मोटा-माटी एक करोड़ का घर लेने में बीस सालों तक आपको 8-9 प्रतिशत के हिसाब से 8-9 लाख सालाना देने होंगे। वहीं किराए के घर में 25 हजार महीने के हिसाब से साल के सिर्फ 3 लाख रुपए लगेंगे। यानी बीस साल के सिर्फ 60 लाख।

किराए के घर में रहकर बचे रुपयों का क्या करेंगे?

अब क्या यह मामला इतना ही फायदे का है, जितना गणित के हिसाब से लगता है या हेरा फेरी फिल्म की लक्ष्मी चिट फंड जैसी ये कोई स्कीम है? वैसे किराए के घर का जो गणित यूट्यूब विद्वान बताते हैं, उसमें कोई खोट नहीं है। लेकिन कुछ बातें हैं, जो इस रास्ते पर चलने से पहले आपको जाननी चाहिए।

बचे पैसों से निवेश के दूसरे मौके

अंकुर वारिकू पूछते हैं, “किराए के घर में रहकर और ईएमआई न देकर जो पैसा आप बचा रहे हैं, उसका करेंगे क्या?” जैसाकि अरबपति निवेशक वॉरेन बफेट कहते हैं, “कभी भी आय के एक स्रोत पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। निवेश करें और कमाई के दूसरे तरीके भी खोजें।”
अगर शेयर बाजार, म्यूचूअल फंड या एसआईपी में आप आत्मविश्वास के साथ निवेश कर सकते हैं तो आपको लंबी दौड़ में अच्छा मुनाफा हो सकता है।

और तो और, अगर अच्छे रिटर्न मिले तो आप जो घर बीस साल ईएमआई देकर लेंगे, वह आप बीस साल से पहले बिना लोन लिए भी ले सकेंगे। लेकिन इसमें एक पेंच है। और उस पेंच का नाम है महंगाई। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करके घर लेने जितना मुनाफा अगले 10-15 सालों में कमा लेते हैं, तो भी जो घर आज एक करोड़ का है, 15 साल बाद वह 6 फीसदी महंगाई दर के हिसाब से करीब 2 करोड़ 40 लाख का हो चुका होगा। इसलिए यह सब बातें ध्यान में रखकर ही हिसाब लगाएं।

किराए के घर के व्यावहारिक फायदे

इस दिमाग चकरा देने वाली गणित को थोड़ी देर के लिए छोड़ देते हैं। इसका सरल तरीका अंत में आपको बताता हूं। पहले समझते हैं किराए के घर में रहने के कुछ व्यावहारिक फायदे।

1- अगर आपकी जॉब एक ही जगह पर नहीं रहने वाली तो किराए के घर में रहना बेहतर है। वरना आप तो हर दो साल में शहर बदल रहे होंगे और आपके घर का आनंद कोई किराएदार उठा रहा होगा।

2- या फिर आप कम उम्र में इतने बड़े लोन की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते और निवेश के अलग-अलग तरीकों में हाथ आजमाना चाहते हैं तो किराए का घर एक अच्छा विकल्प है। रमित सेठी कहते हैं कि होम लोन लेकर आप दूसरी जगहों पर निवेश के मौके कम कर देते हैं।

घर लेने के फायदे और नुकसान

कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले उसके नफा-नुकसान का जायजा ले लेने से मामला थोड़ा आसान हो जाता है, रिस्क कम होता है और रिटर्न अधिकतम। इसलिए घर खरीदने के पक्ष में क्या बातें है, उन्हें भी जानना जरूरी है।

घर खरीदने में सक्षम हैं तो क्या करें

अब मान लीजिए आप वही एक करोड़ का घर खरीदना चाहते हैं या फिर इसकी आधी कीमत का, कीमत आप अपनी जरूरत के हिसाब से घटा बढ़ा सकते हैं। डाउन पेमेंट और ईएमआई भी उसी हिसाब से घट-बढ़ जाएगी। अब अगर डाउन पेमेंट के बाद ईएमआई और रखरखाव मिलाकर आप हर महीने 60-75 हजार रुपए आराम से दे सकते हैं तो क्या घर खरीदना सही होगा? इसके पीछे क्या तिकड़म है। आइए आसान तरीके से समझते हैं।

निवेश का एक विकल्प

भावनात्मक लगाव के अलावा घर खरीदना निवेश का भी एक अच्छा विकल्प है।

SILA (रियल एस्टेट) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, हरि किशन मोव्वा के अनुसार, “रियल एस्टेट बाजार ने 2022 में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।” डेक्सटरस वर्कस्पेस के सीईओ और फाउन्डर रॉबिन छाबरा कहते हैं कि साल 2023 रियल एस्टेट के लिए रोचक हो सकता है। बढ़ती जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय के साथ लोगों की खर्च क्षमता भी बढ़ रही है। शहरीकरण भी बढ़ रहा है। टियर-1 और टियर-2 शहरों में ऑफिस और घरों की मांग भी बढ़ रही है।

ईएमआई एक ही रहेगी, लेकिन किराया बढ़ता रहता है

निवेश को थोड़ी देर के लिए किनारे कर देते हैं। ईएमआई की बात करते हैं। घर की ईएमआई लोन चुकाने तक एक ही रहने वाली है। वहीं किराए में बढ़ोतरी होती रहती है। जब तक आप कमाई कर रहे हैं, तब तक तो रुपए बचाकर निवेश और खर्च करना एक अच्छा आइडिया है।

लेकिन रिटायरमेंट के बाद जब आपके पास एक निश्चित आय नहीं होगी तो यह इंवेस्टमेंट आपके लिए एक एसेट बन जाएगा।

बढ़ती कीमतें

घर खरीदना दिन-ब-दिन महंगा होता जा रहा है और विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय रियल एस्टेट आने वाले सालों में बढ़ता ही नजर आ रहा। जैसाकि नेस्क होम्स के सीईओ और फाउन्डर पी एल नारायण भी कहते हैं कि 2023-24 का केन्द्रीय बजट रियल एस्टेट के लिए बहुत अच्छा होगा। ऐसे में निवेश और अपने लिए आर्थिक सुरक्षा की नजर से भी घर खरीदना एक अच्छा विकल्प है।

घर संपत्ति और उपयोगिता दोनों ही नजरिए से अच्छा निवेश है। साथ-साथ देखा जाए तो रखरखाव का एक निश्चित खर्चा किराए के मकान में भी आपको करना ही होगा। इसके अलावा अगर आप पुराने टैक्स रिजिम में हैं तो टैक्स में भी कुछ छूट मिल जाएगी। अब जब दोनों तरफ फ़ायदे हैं तो करें तो करें क्या?

करें तो करें क्या?

अगर आप कुछ साल काम कर चुके हैं और आर्थिक रूप से थोड़ा मजबूत हो गए हैं, तब घर खरीदना एक अच्छा निवेश है।

 

वैसे इस दिमाग चकरा देने वाली दुविधा का एक सरल तरीका भी सुझाया जाता है। एक फॉर्मूले के हिसाब से घर की कीमत को उसके सालाना किराए से भाग करिए। अब देखिए कि क्या होता है-

 

 अगर अनुपात 15 से कम आता है तो घर खरीदना अच्छा विकल्प होगा।

 अगर अनुपात 15-20 के बीच में आता है तो दोनों ही अच्छे विकल्प हैं।

 अंत में अगर अनुपात 20 से ज्यादा है तो किराए के घर में रहना ज्यादा बुद्धिमानी का फैसला है।

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