SINGRAUKI NEWS: देवसर के सेठ रामकरण गुप्ता की पत्नी एवं संगमलाल गुप्ता ने भी बरका समिति में की है धान की बिक्री बरका समिति प्रबंधक ने बताया है फर्जी किसान,मीडिया के सवालों से भाग खड़े हुए दोनो किसान
सिंगरौली जिले के बरका समिति में धान खरीदी में हुए घोटाले की परतदर परत राज खुलते जा रहे हैं
सिंगरौली जिले के बरका समिति में धान खरीदी में हुए घोटाले की परतदर परत राज खुलते जा रहे हैं मीडिया की पड़ताल में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है बताया जाता है कि देवसर बाजार स्थित रामकरण गुप्ता की पत्नी फूलमती गुप्ता एवं सेठ संगम लाल गुप्ता के नाम से भी बरका समिति में धान की बिक्री की गई है इस मामले की जांच शुरू होते ही बरका समिति प्रबंधक ने एक फर्जी किसानों की सूची सोशल मीडिया में वायरल की है जिसमें धान विक्रेता के रूप में रामकरण गुप्ता की पत्नी फूल मति गुप्ता एवं संगम लाल गुप्ता का भी नाम अंकित है अब जांच करने का विषय यह है कि क्या संगम लाल गुप्ता तथा फूल मति ने वास्तविक रूप से धान की बिक्री की है या समिति प्रबंधक बरका के कथन अनुसार यह भी फर्जी किसान है यदि इन्होंने धान की बिक्री नहीं की है तो निश्चित रूप से इन पर भी बड़ी कार्यवाही हो सकती है फिलहाल पिछले दिनों इसी संबंध में जानकारी लेने गए कुछ मीडिया कर्मियों के सवालों से फूल मति के पति रामकरण गुप्ता एवं संगम लाल भाग खड़े हुए उन्होंने कहा कि मैं धान की बिक्री बरका में किया हूं लेकिन मैं इस संबंध में कुछ भी नहीं कह पाऊंगा,जिस तरह से दोनो किसान पत्रकारों के सवालों का जबाव देने में असहज महसूस कर रहे थे ऐसे में साफ तौर पर यह प्रतीत होता है कि निश्चित ही दाल में कुछ काला है
आखिर देवसर की समितियों में क्यों नहीं किए धान की बिक्री
दरसल इन किसानों को फर्जी किसान तो बरका समिति प्रबंधक ने ही बता दिया है ऐसे में जांच के दायरे में ये किसान भी आ रहे हैं साथ ही एक और सवाल खड़ा होता है कि जब देवसर में तमाम समितियां हैं और इनका ग्रह ग्राम भी देवसर ही है ऐसी स्थिति में यह किसान देवसर की समितियों में धान की बिक्री क्यों नहीं की है देवसर से बरका की दूरी भी पर्याप्त है तो दूर की समिति में धान बिक्री करने की क्या आवश्यकता पड़ गई ऐसी स्थिति में निश्चित ही कुछ दाल में काला समझ में आता है फिलहाल अब सच्चाई क्या है यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा
मीडिया के सवालों से भाग खड़े हुए दोनो किसान
इस पूरे मामले में एक और बात सामने आ रही है कि जब यह किसान वास्तविक रूप से धान की बिक्री किए हैं यदि वे गलत नहीं है तो फिर इन्हें मीडिया कर्मियों के समक्ष इस संबंध की जानकारी देने में क्या समस्या आ रही है जिस तरह से पिछले दिनों राम करण तथा संगम लाल गुप्ता कुछ मीडिया कर्मियों के सवालों का जवाब देना उचित नहीं समझे और उठकर भाग खड़े हुए ऐसी स्थिति में संदेह ज्यादा बढ़ जाता है