SINGRAULI – जिला प्रशासन पर भारी उप पंजीयक,सरकार की शुरू है किरकिरी- इंडिया टीवी एमपी तक-
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SINGRAULI – जिला प्रशासन पर भारी उप पंजीयक,सरकार की शुरू है किरकिरी- इंडिया टीवी एमपी तक-
एडीएम के मौखिक आदेश को भी नहीं मानता उप पंजीयक अमला, मामला ग्रामीण अंचलों के सिंचित, असिंचित भूमि के रजिस्ट्री का
सिंगरौली जिला प्रशासन पर उप पंजीयक भारी पड़ता नजर आ रहा है। ग्रामीण अंचलों के भूमियों की रजिस्ट्रियों में सिंचित एवं असिंचित के नाम पर व्यापक खेला हो रहा है। उप पंजीयक इस करतूत के कारण कई त्रस्त क्रेता, विक्रेता अब प्रदेश की भाजपा सरकार पर भड़ास निकाल रहे हैं।
गौरतलब हो कि ग्रामीण अंचलों के भूमियों के क्रय विक्रय में विभाग के लिए कमाई का जरिया बन गया है। खसरे के कालम नंबर 12 कैफियत में जहां निरंक लिखा है उप पंजीयक उसे सिंचित का दर्जा देकर उसी दर से स्टाम्प लगाने का दबाव कथित सेवा प्रदाताओं को दे रहे हैं। पहले सेवा प्रदाता निरंक को असिंचित मानकर संबंधित दस्तावेज तैयार करते हैं और जब उप पंजीयक के यहां रजिस्ट्रियां पेश करते हैं उस दौरान उप पंजीयक रजिस्ट्रियों को बड़ी बारीकी से देखते हैं, खसरे को विशेष गौर से देखने के बाद निरंक को सिंचित रकवा होने का जिक्र करते हुए स्टाम्प शुल्क लगाने रजिस्ट्रियां लौटा देते हैं। जबकि पिछले माह अपर कलेक्टर डीपी बर्मन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी भी खसरे के कालम नंबर 12 कैफियत में भूमियों की श्रेणी निरंक है तो उसे असिंचित माना जायेगा। इसके बावजूद चर्चित उप पंजीयक एडीएम के आदेश को भी नंजर अंदाज कर अपनी चला रहे हैं। उधर इसी माह सांसद रीती पाठक के यहां भी उक्त मामले की शिकायत पहुंची थी और मीडिया कर्मियों ने इस संबंध में सांसद से सवाल भी पूछा था। उन्होंने जबाव देते हुए कहा कि कलेक्टर इसके जांच के लिए टीम गठित करें। यदि निरंक को सिंचित रकवा मानकर स्टाम्प शुल्क लगाने के लिए नाजायज दबाव क्रेताओं पर दिया जा रहा है तो यह गलत है। निष्पक्ष जांच करायें। यदि आरोप सही पाया जाता है तो संबंधित अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई प्रस्तावित करें। उधर दौरान भी जिला अधिकारियों ने सांसद को अवगत कराया गया था कि यदि खसरे में निरंक है तो वह असिंचित रकवा माना जायेगा। सांसद के निर्देश के बावजूद उप पंजीयक कार्यालय में इस तरह का खेला थम नहीं रहा है बल्कि और जोर पकड़ता जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि जब सिंचित रकवा का स्टाम्प शुल्क लगाने के लिए सेवा प्रदाताओं पर दबाव बनाया जाता है तब मामला 50-50 में पहुंच जाता है। यह एक दिन का खेला नहीं है रोजाना हो रहा है। हैरानी की बात है कि यह सब कुछ कलेक्टोरेट भवन के उप पंजीयक दफ्तर में चल रहा है। जहां कलेक्टर सहित जिले के ओहदेदार अधिकारियों का दफ्तर है। इसके बावजूद उप पंजीयक कार्यालय में भर्रेशाही मची हुई है। इस भर्रेशाही को लेकर अब कास्तकार, क्रेता, विक्रेता क्षेत्रीय सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों को भी आड़े हाथो लेते हुए चर्चित उप पंजीयक को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री के उस बयान का भी मजाक उड़ा रहे हैं कि जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश में भ्रष्ट्राचार कतई बर्दास्त नहीं होगा। एक क्रेता ने यहां तक कहा कि मुख्यमत्री का यह सब कुछ आदेश लोगों का ध्यान भटकाने के लिए है। सिंगरौली का उक्त दफ्तर लूट खसोट का अड्डा बना हुआ है। कई सेवा प्रदाता एक-एक भूमि की रजिस्ट्रियों में 3-3 हजार रूपये नजराना वसूल रहे हैं और शाम के वक्त इसी नजराने का हिसाब किताब किया जाता है।
पंजीयक से निष्पक्ष जांच का नहीं है भरोसा
शिकायतकर्ता का आरोप है कि पंजीयक निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं कर रहे हैं। मार्च महीने से उप पंजीयक के खिलाफ की शिकायत पहुंची हुई है। जहां कलेक्टर के निर्देश पर एडीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम मार्च महीने में ही गठित कर दिया है। लेकिन अभी तक जांच का परिणाम नहीं दिख रहा है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि पंजीयक की भूमिका भी संदिग्ध है। वर्ष 2019 से उप पंजीयक के खिलाफ शिकायतें की जाती रही हैं लेकिन अधिकांश शिकायतों का निराकरण पंजीयक ने नहीं किया है। इसके पीछे कारण क्या है इसे बताने की जरूरत नहीं है।
पंजीयक को सौंपी गयी है जांच: एडीएम
इस संबंध में अपर कलेक्टर डीपी बर्मन ने बताया कि सांसद के निर्देश पर उक्त मामले की जांच पंजीयक को सौंपी गयी है और उनसे तत्काल प्रतिवेदन मांगा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक पंजीयक के द्वारा कोई जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है। उन्हें बताया भी गया है कि नाजायज तरीके से स्टाम्प शुल्क न लगायें। यदि ऐसा किया जा रहा है तो इसे गंभीरता से लेकर जांच पड़ताल कराया जायेगा। उप पंजीयक के खिलाफ पूर्व के शिकायतों की भी जांच एसडीएम सिंगरौली, पंजीयक एवं सीएमएचओ को सौंपा गया है अभी तक प्रतिवेदन देने में देरी क्यों कर रहे हैं इस पर भी सोमवार को जानकारी ली जायेगी।